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टेलीविजन पर क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंजों का विज्ञापन बगैर डिसक्लेमर के दिखाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में टीवी पर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के विज्ञापन दिखाए जाने से संबंधित नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की गई है. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने एडवोकेट अक्षय शुक्ला और विकास कुमार की याचिका पर यह नोटिस जारी किया. शुक्ला खुद याचिकादाता के तौर पर मौजूद थे.
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के विज्ञापनों पर गाइडलाइंस की मांग
शुक्ला की याचिका में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के विज्ञापन टीवी पर दिखाने के संबंध में गाइडलाइंस, सर्कुलर या रूल्स जारी करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. इसमें कहा गया था कि टीवी पर क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के विज्ञापन दिखाने के समय डिसक्लेमर दिखाया जाना चाहिए और इसका टेक्स्ट स्क्रीन को 80 फीसदी तक कवर करने वाला होना चाहिए. डिसक्लेमर को जल्दी-जल्दी यानी स्पीड रीडिंग के बजाय धीरे-धीरे पढ़ा जाना चाहिए. यह अवधि कम से कम पांच सेकेंड तक होनी चाहिए.
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सेबी और सूचना-प्रसारण मंत्रालय को भी बनाया गया था प्रतिवादी
याचिका में तीन स्थापित क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों को प्रतिवादी बनाया गया था. ये सभी एक्सचेंज भारत से ही काम करते हैं और क्रिप्टो करेंसी और क्रिप्टो असेट में निवेश में अपील करते हुए टीवी पर विज्ञापन देते हैं. इसमें सेबी और और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव को भी प्रतिवादी बनाया गया था. याचिका में कहा गया था कि म्यूचुअल फंड कंपनियां अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करते वक्त स्टैंडर्ड गाइडलाइंस को फॉलो करती हैं. इसके लिए विज्ञापन के जो नियम बनाए गए हैं, इनकी ओर से वो पूरी तरह फॉलो हो रहे हैं. विज्ञापन के मामले में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को भी म्यूचुअल फंड्स के निवेश के समकक्ष रखा जाए और विज्ञापन में पारदर्शिता लाई जाए. इससे निवेशकों का हित सधेगा.