/financial-express-hindi/media/post_banners/EmC7t1MMCaSvPW0Uap15.jpg)
दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी Flipkart और इसके फाउंडर Binny Bansal और Sachin Bansal पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये (135 करोड़ डॉलर) का जुर्माना लग सकता है. भारतीय फाइनेंशियल-क्राइम एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन को लेकर ई-कॉमर्स कंपनी और दोनों फाउंडर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. ईडी ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी फ्लिपकार्ट और अमेजन की लंबे समय से जांच कर रही है. इन दोनों कंपनियों पर विदेशी निवेश के नियमों के उल्लंघन का आरोप है. इन नियमों के तहत मल्टी-ब्रांड रिटेल को रेगुलेट किया जाता है और फ्लिपकार्ट व अमेजन जैसी कंपनियों को सेलर्स के लिए मार्केट प्लेस के रूप में ऑपरेट करने पर प्रतिबंधित किया गया है. ईडी के एक अधिकारी के मुताबिक फ्लिपकार्ट पर आरोप है कि उसने विदेशी निवेश आकर्षित किया और फिर एक संबंधित पार्टी डब्ल्यूएस रिटेल ने इसकी शॉपिंग वेबसाइट पर सामानों की बिक्री की जिसकी भारतीय कानून के तहत मंजूरी नहीं है.
वर्ष 2009-2015 के बीच का है मामला
ईडी के चेन्नई ऑफिस ने फ्लिपकार्ट और इसके फाउंडर्स व वर्तमान निवेशक टाइगर ग्लोबल को जुलाई की शुरुआत में ही कारण बताओ नोटिस भेजा था. इस नोटिस के जरिए ईडी ने पूछा कि उन पर 10 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना क्यों नहीं लगाना चाहिए? फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता का इस मसले पर कहना है कि कंपनी भारतीय कानूनों व नियमों का पालन कर रही है. ईडी की नोटिस के मुताबिक यह मामला वर्ष 2009-2015 के बीच का है. ईडी जांच के दौरान इस प्रकार के नोटिस को सार्वजनिक नहीं करती है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक फ्लिपकार्ट व अन्य को नोटिस का 90 दिनों के भीतर जवाब देना है. डब्ल्यूएस रिटेल ने 2015 के अंत में अपना कामकाज बंद कर दिया था. टाइगर ग्लोबल मे इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया और ईडी व बंसल्स ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
Tokyo Olympic में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को मिलेंगे BitCoin, 5 साल तक की होगी एसआईपी
फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ लगातार आई हैं शिकायतें
वालमार्ट ने करीब पांच साल पहले 2016 में 1600 करोड़ डॉलर में मेजॉरिटी हिस्सेदारी खरीद लिया था. सचिन बंसन ने उसी समय अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी लेकिन बिन्नी बंसल ने थोड़ी हिस्सेदारी बनाए रखा. तीन साल से भी कम समय में फ्लिपकार्ट की मार्केट वैल्यूएशन दोगुनी होकर 3760 करोड़ डॉलर की हो गई. ईडी द्वारा भेजा गया नोटिस इस ई-कॉमर्स कंपनी के लिए नई समस्या है, इससे पहले उसके खिलाफ लगातार छोटे दुकानदारों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं. ब्रिक-एंड-मोर्टार (ऑफलाइन) खुदरा दुकानदारों का कहना है कि अमेजन व फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ सेलर्स को बेनेफिट पहुंचाती हैं और अपने कांप्लेक्स बिजनस स्ट्रक्चर के जरिए विदेशी निवेश के नियमों से बच निकलती हैं जिससे छोटे दुकानदारों का नुकसान होता है. हालांकि ई-कॉमर्स कंपनियां इन आरोपों का खंडन करती आई हैं.