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Price or Valuation: भारत की बात करें तो बहुत से निवेशक ऐसे हैं जो शेयर की कीमत देखते हैं, ना कि वैल्युएशन.
Indian Expensive Stocks: दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के इन्वेस्टमेंट फर्म बर्कशर हैथवे का शेयर अभी 5,10,000 यूएस डॉलर के आस पास ट्रेड कर रहा है. शेयर की कीमत इतनी ज्यादा होने के बाद भी वॉरेन बफेट ने कभीर भी बर्कशर हैथवे के शेयर को सस्ता करने (स्टॉक स्प्लिट के जरिए) यानी हर तरह के निवेशकों की जेब के अनुकूल करने की कोशिश नहीं की. उनका कहना है कि उनकी कंपनी को लेकर शेयरधारकों की जो सोच है, अगर स्टॉक सस्ता कर दें तो वह सोच मेल नहीं खाएगी. फिलहाल इतना महंगा होने के बाद भी फर्म के जो शेधरधारक हैं, वह मजबूती से जुड़े हुए हैं. लेकिन क्या बात भारत के शेयर बाजार में भी लागू हो सकती है.
वॉरेन बफेट की दलील निवेशकों के लिए कितनी सही
द केन की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार वॉरेन बफेट की यह दलील वैसे तो भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों पर बहुत सटीक नहीं बैठती है, क्योंकि यहां निवेश करते समय एक बहुत बड़ा वर्ग स्टॉक प्राइस भी देखता है कि वह उसकी खर्च करने की क्षमता के अनुरूप है या नहीं. फिरभी वॉरेन बफेट की इसी सोच पर कई भारतीय कंपनियां चल रही हैं और ग्रोथ भी हासिल कर रही हैं, साथ में निवेशकों के लिए वैल्यू क्रिएटर भी साबित हुई हैं. इन्हीं में एक है मद्रास रबड़ फैक्ट्री (MRF), जिसके शेयरों की इन दिनों जमकर चर्चा है. MRF का शेयर हाल ही में 1 लाख रुपये के भाव को भी पार कर गया. देश में कम से कम 17 शेयर ऐसे हैं, जिनका कीमत 10 हजार से 1 लाख रुपये के बीच है.
MRF के शेयर को लेकर सुर्खियों के क्या मायने
पिछले एक दशक की बात करें तो में, MRF लिमिटेड के शेयर की कीमत 7 गुना बढ़ गई है. लेकिन इस महीने की शुरुआत में जिस बात ने सुर्खियां बटोरीं, वह यह थी कि टायर निर्माता कंपनी का शेयर 1 लाख रुपये (US$1,220) के पार पहुंच गया. यह सुनकर लोग हैरान रह गए. 1 लाख की लिमिट को ब्रेक करने वाले इस शेयर की कीमत ने शेयर बाजार के बारे में एक बुनियादी सच्चाई को सामने ला दिया है. वह यह कि कीमत में सस्ते शेयर निवेशकों को उत्साहित करते हैं, भले ही उस कंपनी का रेवेन्यू, मुनाफा या मार्केट वैल्यू बहुत कम हो. रिटेल निवेशक कई बार वैल्युएशन नहीं बल्कि कीमत देखते हैं.
शेयर सस्ते नहीं किए लेकिन बन गए वैल्यू क्रिएटर
MRF के शेयरों की कीमत अब देश के दूसरे सबसे महंगे स्टॉक हनीवेल ऑटोमेशन इंडिया लिमिटेड की तुलना में डबल से अधिक है. प्राइम डाटाबेस के अनुसार, MRF और हनीवेल सहित भारत में 17 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके शेयर 10,000 रुपये से ऊपर कारोबार कर रहे हैं. एक ओर जहां ज्यादातर घरेलू कंपनियां चाहती हैं कि शेयर की कीमत ऐसी हो, जिसे रिटेल निवेशक आसानी से खर्च कर सकें. वहीं देश के ये 17 हाई प्राइस्ड स्टॉक इस सोच को झूठा साबित करते हैं कि लिस्टेड कंपनियों का शेयर बहुत ज्यादा कीमत का नहीं होना चाहिए. इन्होंने भी कभी अपने शेयरों को सस्ता करने की कोशिश नहीं की. फिर भी ये वैल्यू क्रिएटर बनकर उभरे हैं और 1 साल से 10 साल के दौरान इन्होंने बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न दिया है.
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देश के महंगे शेयर और रिटर्न
MRF के शेयर ने 1 साल में 40 फीसदी और 5 साल में 36 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं 10 साल का रिटर्न 675 फीसदी रहा है.
Honeywell Automation India के शेयर ने 1 साल में 20 फीसदी और 5 साल में 126 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं 10 साल का रिटर्न 1643 फीसदी रहा है.
Page Industries का शेयर 1 साल में 3 फीसदी कमजोर हुआ है, लेकिन 5 साल में 40 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं 10 साल का रिटर्न 840 फीसदी रहा है.
3M India के शेयर ने 1 साल में 33 फीसदी और 5 साल में 41 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं 10 साल का रिटर्न 690 फीसदी से ज्यादा रहा है.
Shree Cement के शेयर ने 1 साल में 25 फीसदी और 5 साल में 53 फीसदी रिटर्न दिया है. वहीं 10 साल का रिटर्न 460 फीसदी रहा है.
इन कंपनियों ने नहीं होने दी ज्यादा कीमत
ऐसी कई कंपनियां हैं, जिन्होंने महंगा होने पर अपने शेयर को स्प्लिट कर दिया. जैसे ट्रक निर्माता आयशर मोटर्स लिमिटेड अगस्त 2020 में 22,000 रुपये के करीब कारोबार कर रहा था, जब उसने 10-के-1 स्प्लिट का विकल्प चुना. इसी तरह से डिक्सन टेक्नोलॉजीज के शेयर मार्च 2021 में 5-फॉर-1 में स्प्लिट हुए थे, जिसके पहने उनकी कीमत 20,000 रुपये से अधिक थी.