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Flipkart Reverses Flip: फ्लिपकार्ट की होल्डिंग कंपनी सिंगापुर से भारत शिफ्ट होगी, IPO की तैयारी?

Flipkart IPO: कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और मजबूत करने के लिए फ्लिपकार्ट ने सॉफ्टबैंक की पूर्व मैनेजिंग पार्टनर लीडिया जेट्ट को बोर्ड में शामिल किया है. यह कदम कंपनी की पेशेवर प्रबंधन को लेकर गंभीरता को दर्शाता है.

Flipkart IPO: कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और मजबूत करने के लिए फ्लिपकार्ट ने सॉफ्टबैंक की पूर्व मैनेजिंग पार्टनर लीडिया जेट्ट को बोर्ड में शामिल किया है. यह कदम कंपनी की पेशेवर प्रबंधन को लेकर गंभीरता को दर्शाता है.

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FE Hindi Desk
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Flipkart Big Move: इस फैसले के साथ फ्लिपकार्ट उन स्टार्टअप्स की कतार में शामिल हो गया है जिन्होंने हाल के वर्षों में ‘रिवर्स फ्लिप’ का रास्ता अपनाया है. (Image: Reuters)

Flipkart plans to relocate holding company from Singapore to India ahead of potential IPO : ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) ने बड़ा ऐलान किया है. वॉलमार्ट के मालिकाना हक वाली इस कंपनी ने अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत शिफ्ट करने की योजना का खुलासा किया है. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब कंपनी का इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) लॉन्च करने की चर्चा जोरों पर है.

क्या फ्लिपकार्ट भारत में अपने विस्तार को लेकर है गंभीर?

फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता (Flipkart spokesperson) ने इसे एक स्वाभाविक कदम यानी नेचुरल प्रोग्रेशन (natural progression) बताया, जो कंपनी के मुख्य ऑपरेशन, भारत की आर्थिक क्षमता और डिजिटल बदलाव में टेक-फोकस अप्रोच के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि भारत में जन्मी और यहीं पली-बढ़ी कंपनी होने के नाते, यह बदलाव हमें ग्राहकों, विक्रेताओं और साझेदारों को और बेहतर सेवाएं देने में सक्षम बनाएगा.

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इस फैसले को भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप ईकोसिस्टम में कंपनी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के तौर पर भी देखा जा रहा है. कंपनी का मानना है कि यह बदलाव उसके ऑपरेशन्स में और तेजी, स्पष्टता और स्थानीय फोकस लाएगा. संकेत साफ हैं कि फ्लिपकार्ट भारत में निवेश और विस्तार को लेकर गंभीर है, और IPO से पहले अपनी जड़ों को और मजबूत करना चाहती है.

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फ्लिपकार्ट की होल्डिंग कंपनी कब सिंगापुर से भारत होगी शिफ्ट?

फ्लिपकार्ट की होल्डिंग कंपनी को भारत शिफ्ट करने की योजना अब तेजी पकड़ रही है, लेकिन यह कदम आवश्यक रेगुलेटरी मंजूरी मिलने के बाद ही लागू होगा. यह रणनीतिक बदलाव ऐसे वक्त पर हो रहा है जब कंपनी का आईपीओ (Initial Public Offering) अब भी लंबी योजना का हिस्सा बना हुआ है.

फ्लिपकार्ट की पैरेंट कंपनी वॉलमार्ट ने साल 2018 में इसे खरीदा था और हाल ही में Tiger Global की बची हुई हिस्सेदारी 1.4 अरब डॉलर में खरीदी है. इससे यह साफ है कि वॉलमार्ट अब फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी को और मजबूत करने के साथ-साथ, इसकी लिस्टिंग की जमीन तैयार कर रहा है. वॉलमार्ट ने पहले कहा था कि "IPO तब होगा जब समय सही होगा", और अब कंपनी उस दिशा में धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है. कॉर्पोरेट गवर्नेंस को और मजबूत करने के लिए फ्लिपकार्ट ने सॉफ्टबैंक की पूर्व मैनेजिंग पार्टनर लीडिया जेट्ट को बोर्ड में शामिल किया है. यह कदम कंपनी की पेशेवर प्रबंधन को लेकर गंभीरता को दर्शाता है. 

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फ्लिपकार्ट से पहले ये कंपनियां कर चुकी हैं रिवर्स फ्लिप

इस फैसले के साथ फ्लिपकार्ट उन स्टार्टअप्स की कतार में शामिल हो गया है जिन्होंने हाल के वर्षों में ‘रिवर्स फ्लिप’ का रास्ता अपनाया है यानी जो कंपनियां कभी टैक्स या रेगुलेटरी कारणों से विदेश गई थीं, वे अब पाइन लैब्स, ज़ेप्टो और रेज़रपे जैसे नामों के साथ फिर से भारत लौट रही हैं. संकेत साफ हैं कि फ्लिपकार्ट न सिर्फ भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, बल्कि आने वाले समय में IPO के लिए खुद को पूरी तरह तैयार भी कर रही है.

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