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शेयरों में एफपीआई निवेश बढ़ा है लेकिन बॉन्ड बाजार से 6,748 करोड़ रुपये की निकासी की गई है. (Image: FE)
FPI Inflow: विदेशी निवेशकों का रुझान एक बार फिर भारत की ओर लौट रहा है. वैश्विक स्तर पर अनुकूल माहौल, घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव और दक्षिण एशिया में सुधरते राजनीतिक समीकरणों के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार में भरोसा जताया है. मई महीने की शुरुआत से 16 मई तक एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 18,620 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो बाजार की मजबूती और निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है.
यह निवेश अप्रैल की तुलना में चार गुना से भी अधिक है, जब एफपीआई ने 4,223 करोड़ रुपये शेयर बाजार में लगाए थे. गौरतलब है कि अप्रैल से पहले लगातार तीन महीनों - जनवरी, फरवरी और मार्च में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से क्रमशः 78,027 करोड़, 34,574 करोड़ और 3,973 करोड़ रुपये की निकासी की थी. ऐसे में अप्रैल में उनकी वापसी और मई में निवेश का यह उछाल खासा अहम माना जा रहा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की ओर से खरीदारी का रुख आगे भी जारी रह सकता है, जिससे बड़ी कंपनियों के शेयरों में मजबूती बनी रहेगी.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने इस उछाल के पीछे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी और अमेरिका-चीन के बीच 90 दिनों की शुल्क युद्ध विराम सहमति जैसे वैश्विक कारकों को अहम बताया है. उनके अनुसार, इन घटनाओं ने वैश्विक निवेशकों के बीच जोखिम लेने की प्रवृत्ति को बढ़ाया है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजार एक बार फिर एफपीआई के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं.
बॉन्ड बाजार से निकासी जारी
हालांकि शेयरों में एफपीआई निवेश बढ़ा है, वहीं बॉन्ड बाजार से 6,748 करोड़ रुपये की निकासी की गई है. स्वैच्छिक प्रतिधारण योजना (VRR) के तहत एफपीआई ने 1,193 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
कुल मिलाकर, वर्ष 2025 में एफपीआई की कुल निकासी अब घटकर 93,731 करोड़ रुपये रह गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक और घरेलू परिस्थितियां ऐसी ही अनुकूल बनी रहीं, तो आने वाले महीनों में एफपीआई निवेश में और तेजी देखी जा सकती है.