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इस महीने 14 जून तक एफपीआई ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में 5,700 करोड़ रुपये डाले हैं. (Image : FE)
लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) का भरोसा फिर एक बार लौटता नजर आ रहा है. घरेलू और वैश्विक बाजारों के सकारात्मक रुख के बीच एफपीआई ने जून के दूसरे सप्ताह में 11,730 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. इससे पहले, जून के पहले सप्ताह के दौरान उन्होंने ने 14,794 करोड़ रुपये के शेयर्स बेचे थे. हालिया निवेश के बाद जून में अबतक विदेशी निवेशकों की शेयरों से शुद्ध निकासी 3,064 करोड़ रुपये रही है. कुल मिलाकर इस साल अबतक भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों ने 26,428 करोड़ रुपये की निकासी की है. वहीं इस महीने 14 जून तक एफपीआई ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में 5,700 करोड़ रुपये डाले हैं.
चुनावी नतीजों से पहले मई में विदेशी निवेशकों ने शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे. मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार बढ़ोतरी के चलते विदेशी निवेशकों ने इस साल अप्रैल में 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्ध निकासी की थी. उससे पहले, एफपीआई ने मार्च में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. उन्होंने जनवरी में 25,743 करोड़ रुपये निकाले थे.
इस महीने 14 जून तक विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में 5,700 करोड़ रुपये डाले. इससे पहले, मई में एफपीआई ने 8,761 करोड़ रुपये डाले थे. इस साल अप्रैल में बांड बाजारों से एफपीआई ने 10,949 करोड़ रुपये की निकासी की थी. बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेशकों ने मार्च में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था. कुल मिलाकर अबतक विदेशी निवेशकों ने इस साल बॉन्ड बाजार में 59,373 करोड़ रुपये डाले हैं.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि जून के पहले सप्ताह में उतार-चढ़ाव के बाद बाजार में स्थिरता लौटी है.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इस बार की सरकार सहयोगी दलों पर निर्भर है, लेकिन लगातार तीसरी बार एनडीए के सत्ता में आने से नीतिगत सुधारों और आर्थिक वृद्धि के जारी रहने की उम्मीद बनी है. इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर अमेरिका में उम्मीद से कम महंगाई दर के आंकड़ों ने भी इस साल ब्याज दर कटौती की उम्मीद बढ़ा दी है.
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