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FPI Inflow: विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में जनरल लिमिट के तहत 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया है. वहीं उन्होंने वॉलेंटरी रिटेंशन रूट से 666 करोड़ रुपये की निकासी की है.
FPIs return to Indian equities; infuse Rs 22,766 crore in first two weeks of December: भारतीय शेयरों पर विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) का भरोसा लौट आया है. भारतीय शेयर बाजार में जोरदार वापसी करते हुए विदेशी निवेशकों ने दिसंबर के पहले दो हफ्ते में 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह निवेश अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते हुआ है. इस वापसी से पहले, पिछले महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारी मात्रा में पैसे निकाले थे. इस ताजा प्रवाह के साथ 2024 में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 7,747 करोड़ रुपये रहा है.
बॉन्ड बाजार के प्रति कैसा रहा विदेशी निवेशकों को रुख
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने 13 दिसंबर तक शेयरों में 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है. शेयर के अलावा इस दौरान विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में डेट जनरल लिमिट (debt general limit) के तहत 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया है. वहीं उन्होंने वॉलेंटरी रिटेंशन रूट (debt Voluntary Retention Route-VRR) के जरिए 666 करोड़ रुपये की निकासी की है. इस साल अबतक एफपीआई बॉन्ड बाजार में 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं.
इससे पहले नवंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 21,612 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की बड़ी निकासी की थी. अक्टूबर की निकासी का आंकड़ा सबसे खराब रहा था. वहीं सितंबर 2024 में एफपीआई ने पिछले नौ महीनों में सबसे अधिक 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था. इस हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश का प्रवाह कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करेगा.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करेगा. इनमें डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा राष्ट्रपति के रूप में लागू की गई नीतियां, मौजूदा मुद्रास्फीति और ब्याज दर की स्थिति और भू-राजनीतिक परिदृश्य शामिल है.’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर देश की प्रगति भी निवेशक धारणा को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के वरिष्ठ निदेशक (सूचीबद्ध निवेश) विपुल भोवर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम करके तरलता बढ़ाई है, जिससे निवेशकों की धारणा को बल मिला है. इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर के 6.21 फीसदी से घटकर नवंबर में 5.48 फीसदी रह गई है. इससे निवेशकों में उम्मीद बनी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती करेगा.