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(Image: FE File)
FPIs return to Indian equities with Rs 24454 crore inflow in Dec first week: विदेशी निवेशकों ने पिछले दो महीनों की भारी बिक्री के बाद भारतीय शेयर बाजार में मजबूत वापसी की है. दिसंबर के पहले हफ्ते में उन्होंने 24,454 करोड़ के शेयर्स खरीदे. जानकारों का मानना है कि वैश्विक हालात में स्थिरता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती करने की संभावनाओं के बीच भारतीय शेयर बाजारों पर विदेशी निवेशकों का भरोसा फिर से लौटा है.
भारतीय शेयरों पर भरोसा लौटने की क्या है वजह?
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने 6 दिसंबर तक विदेशी निवेशकों ने 24,454 करोड़ रुपये का निवेश किया है. ट्रेडजिनी के COO त्रिवेश डी ने इस ताजा निवेश को वैश्विक परिस्थितियों में सुधार और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं से जोड़ा है.
इससे पहले विदेशी निवेशकों (FPI) ने नवंबर में 21,612 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की भारी निकासी की थी. सितंबर 2024 में एफपीआई लिवाली 9 महीने के रिकॉर्ड हाई पर थी, जब 57,724 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ था. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चला है कि ताजा प्रवाह के साथ 2024 में अब तक एफपीआई निवेश 9,435 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
शेयर्स के अलावा दिसंबर के पहले हफ्ते में विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार से डेट जनरल लिमिट (debt general limit) के तहत 142 करोड़ निकाले और डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट (debt Voluntary Retention Route-VRR) के जरिए बॉन्ड बाजार में 355 करोड़ का निवेश किया है. ऐसे में इस साल अब तक, विदेशी निवेशकों ने बान्ड बाजार में 1.07 लाख करोड़ का निवेश किया है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के संयुक्त निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले महीनों में एफपीआई का रुख डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के तहत लागू की गई नीतियों, मुहंगाई दर, ब्याज दर और जिओ-पॉलिटिकल टेंशन स्टेटस से तय होगा. उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारतीय कंपनियों का तीसरी तिमाही का आय प्रदर्शन और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर देश की प्रगति निवेशक भावना को आकार देने और विदेशी निवेश को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. हिमांशु श्रीवास्तव का मानना है कि हाल ही में बाजार में सुधार की संभावना और मूल्यांकन के कारण विदेशी निवेशकों (FPIs) का भारतीय शेयरों पर भरोसा लौटा है.
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन और अन्य कई देशों पर प्रस्तावित टैरिफ के कारण चीनी इक्विटीज में अनिश्चितता ने विदेशी निवेशकों को भारतीय शेयरों की ओर देखने के लिए प्रेरित किया होगा, जो अपेक्षाकृत हाई वैल्यूएशन के बावजूद अधिक स्पष्ट लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावनाएं प्रदान करते हैं.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विस के वीके विजयकुमार ने कहा कि विदेशी निवेशकों (FPIs) की रणनीति में बदलाव शेयर कीमतों में स्पष्ट है, खासकर बड़े बैंकिंग स्टॉक्स में, जहां FPIs ने बिक्री की है. हालांकि, इस सेक्टर्स में अभी भी वृद्धि की संभावनाएं हैं क्योंकि ये स्टॉक्स उचित मूल्यांकन पर हैं और स्थिर गति से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा, घरेलू संस्थागत और खुदरा निवेशकों से अधिक निवेश आने की उम्मीद है. उन्होंने यह भी बताया कि आईटी सेक्टर भी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तैयार है और इसमें एफआईआई की रुचि बढ़ सकती है.