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FPI Out Flow: विदेशी निवेशक हुए सतर्क, अप्रैल के पहले हफ्ते में बेचे 325 करोड़ के शेयर, बॉन्ड बाजार में डाले 1,215 करोड़

शेयर बाजारों में उच्च मूल्यांकन और आम चुनावों के बीच विदेशी निवेशक यानी एफपीआई (FPI) सतर्क हो गए हैं और उन्होंने इस महीने के पहले हफ्ते में बाजार से 325 करोड़ रुपये निकाले.

शेयर बाजारों में उच्च मूल्यांकन और आम चुनावों के बीच विदेशी निवेशक यानी एफपीआई (FPI) सतर्क हो गए हैं और उन्होंने इस महीने के पहले हफ्ते में बाजार से 325 करोड़ रुपये निकाले.

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FE Hindi Desk
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मार्च में 35,000 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद एफपीआई ने शुद्ध निकासी की.

शेयर बाजारों में उच्च मूल्यांकन और आम चुनावों के बीच विदेशी निवेशक यानी एफपीआई (FPI) सतर्क हो गए हैं और उन्होंने इस महीने के पहले हफ्ते में बाजार से 325 करोड़ रुपये निकाले. इसके उलट भारत के डेट बाजारों के प्रति एफपीआई का आकर्षण अभी भी जारी है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में 35,000 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद एफपीआई ने शुद्ध निकासी की. इस साल जनवरी में भी एफपीआई ने 25,743 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. कुल मिलाकर, इस साल अब तक शेयर बाजार में एफपीआई का कुल निवेश 10,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

इस महीने 5 अप्रैल तक एफपीआई घरेलू डेट बाजारों में 1,215 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी में एफपीआई ने डेट बाजारों में 19,837 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. इसके अगले महीने यानी फरवरी में यह निवेश बढ़कर 22,419 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. हालांकि, मार्च में यह थोड़ा और घटकर 13,602 करोड़ रुपये पर आ गया था. 2024 में अब तक डेट बाजारों में कुल एफपीआई निवेश 57,073 करोड़ रुपये हो गया है.

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अप्रैल में भी बॉन्ड मार्केट पर निवेश का सिलसिला जारी, जानिए वजह?

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने 5 अप्रैल तक 325 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. जानकारों का मानना है कि अपेक्षाकृत उच्च मूल्यांकन और आम चुनाव ने एफपीआई को सतर्क कर दिया है, जिससे वे इस समय इक्विटी बाजारों में आक्रामक निवेश से पीछे हट रहे हैं लेकिन बॉन्ड मार्केट पर अभी भी निवेश का सिलसिला जारी है. जानकारों का मानना है कि भारत में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (Government Securities, G-Sec) का 10 वर्षीय यील्ड 7.1 फीसदी और अमेरिका में 10 साल का यील्ड 4.3 फीसदी है, जो विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक का कारण बना हुआ है. रिस्क-रिवार्ड रेशियो उन्हें अपना ध्यान इक्विटी से हटाकर अमेरिका और भारत में बांड इंट्रूमेंट्स द्वारा दी जाने वाली हायर रिटर्न पर केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर रहा है. इसके अलावा, जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बांडों को शामिल किए जाने से प्रेरित होकर एफपीआई पिछले कुछ महीनों से बॉन्ड बाजारों में पैसा लगा रहे हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10 वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 4.4 फीसदी हो गया है, जिससे निकट अवधि में भारत में एफपीआई निवेश प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि उच्च अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बावजूद एफपीआई की बिक्री सीमित रहेगी, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में तेजी है और यह लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है.

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कैपिटलमाइंड के वरिष्ठ शोध विश्लेषक कृष्णा अप्पाला ने कहा कि आम चुनाव के बाद या अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दर में कटौती के शुरुआती संकेत मिलने पर एफपीआई वापस लौट सकते हैं.

जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने पिछले साल सितंबर में घोषणा की थी कि वह जून 2024 से अपने बेंचमार्क उभरते बाजार सूचकांक में भारत सरकार के बांड को शामिल करेगी. इस ऐतिहासिक समावेशन से अगले 18 से 24 महीनों में लगभग 20-40 बिलियन अमेरिकी डॉलर आकर्षित करके भारत को लाभ होने का अनुमान है. इस प्रवाह से भारतीय बांडों को विदेशी निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बनाने और संभावित रूप से रुपये को मजबूत करने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. सेक्टर की बात करें तो एफपीआई एफएमसीजी सेगमेंट (FMCG) में बड़े विक्रेता (बिग सेलर) और टेलीकॉम व रियल्टी सेक्टर में खरीदार (बायर्स) बन गए हैं.

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