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FPI: अक्टूबर की तुलना में नवंबर के दौरान विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयरों से निकासी कम रही. अक्टूबर में उन्होंने 94,017 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. जबकि नवंबर में 21612 करोड़ के शेयर बेचे. (Image: FE File)
FPIs selling spree continues in Nov at Rs 21612 crore: विदेशी निवेशकों ने नवंबर में 21,612 करोड़ रुपये (2.56 अरब अमेरिकी डॉलर) के भारतीय शेयर बेचे. विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी, डॉलर की मजबूती और घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली जारी है. हालांकि अक्टूबर की तुलना में नवंबर में भारतीय शेयरों से निकासी घटी है. अक्टूबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने 94,017 करोड़ रुपये (11.2 अरब अमेरिकी डॉलर) की निकासी की थी. जबकि नवंबर में यह 21,612 करोड़ रुपये ही रही. एफपीआई ने 2024 में अब तक कुल 15,019 करोड़ रुपये की निकासी की है.
आंकड़ों के मुताबिक निवेशकों ने नवंबर में 21,612 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर्ज की. इससे पहले अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने रिकॉर्ड 94,017 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय शेयरों से की थी. हालांकि, इस साल सितंबर में विदेशी निवेशकों ने रिकॉर्ड 57,724 करोड़ रुपये निवेश किया था, जो इस साल पिछले 9 महीने में सबसे अधिक रहा था. बाजार विश्लेषकों ने हालिया निकासी के लिए अमेरिका बांड यील्ड में बढ़ोतरी, डॉलर की मजबूती और घरेलू अर्थव्यवस्था में मंदी को जिम्मेदार माना है. शेयर के अलावा विदेशी निवेशकों का बॉन्ड बाजार के प्रति रुझान नवंबर 2024 में कैसा रहा? आइए जानते हैं.
बॉन्ड बाजार में एफपीआई का कैसा रहा रुख
नवंबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने बॉन्ड बाजार में डेट जनरल लिमिट (debt general limit) के तहत 1,217 करोड़ रुपये और डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट (debt Voluntary Retention Route-VRR) के माध्यम से 3,034 करोड़ रुपये का निवेश किया. बॉन्ड बाजार में इस साल अब तक एफपीआई का कुल निवेश 1.07 लाख करोड़ रुपये रहा.
एक्सपर्ट का क्या है कहना?
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के संयुक्त निदेशक शोध प्रबंधन हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आने वाले समय में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लागू होने वाली नीतियों, महंगाई दर और ब्याज दर से एफपीआई का रुख तय होगा. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों का तीसरी तिमाही का आय प्रदर्शन और देश की आर्थिक विकास की प्रगति भी निवेशकों का रुख तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगा.
हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि नवंबर में निकासी हुई, लेकिन एफपीआई ने 29 नवंबर को समाप्त सप्ताह की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण बदलाव दिखाया. यह बदलाव महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की निर्णायक जीत के कारण हुआ. नतीजतन राजनीतिक स्थिरता ने निवेशक के विश्वास को मजबूत किया.
एक अन्य कारक जिसने इस खरीदारी गतिविधि में योगदान दिया वह था MSCI के प्रमुख सूचकांकों की रिबैलेंसिंग, जिसने अपने सूचकांक में कुछ चयनित भारतीय स्टॉक्स को जोड़ा. इसके अलावा इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष विराम की संभावना ने भी बाजार भावना को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया.
हालांकि हालिया एफपीआई गतिविधियों का एक पेचीदा पहलू उनकी अत्यधिक अस्थिरता है. उदाहरण के लिए, नवंबर 23-25 के बीच एफपीआई खरीदार थे, लेकिन अगले दो दिनों में वे फिर से बड़े सेलर बन गए और 16,139 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे.