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FPI Outflow: विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर्स से लगातार निकासी जारी, जनवरी में अबतक बेचे 64000 करोड़ के शेयर

विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने इस महीने 24 जनवरी तक भारतीय इक्विटी से 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. 2 जनवरी को छोड़कर उन्होंने इस महीने के सभी दिनों में बिकवाली की.

विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने इस महीने 24 जनवरी तक भारतीय इक्विटी से 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. 2 जनवरी को छोड़कर उन्होंने इस महीने के सभी दिनों में बिकवाली की.

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FE Hindi Desk
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FPI Inflow

इससे पहले दिसंबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था. (Image: FE File)

FPIs incessant selling continues withdraw Rs 64000 crore from equities in January 2025 so far: भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई की बेरुखी लगातार जारी है. उन्होंने जनवरी 2025 में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 64,156 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. रुपये के अवमूल्यन, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफा और कमजोर तिमाही नतीजों के चलते ऐसा हो रहा है. 

आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने 24 जनवरी तक भारतीय इक्विटी से 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. एफपीआई ने इस महीने दो जनवरी को छोड़कर सभी दिनों में बिकवाली की. इससे पहले दिसंबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

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मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स इंडिया के संयुक्त निदेशक - शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ''भारतीय रुपये में लगातार गिरावट से विदेशी निवेशकों पर काफी दबाव है, जिससे वे भारतीय इक्विटी बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा हाल ही में हुई गिरावट, अपेक्षाकृत कमतर तिमाही नतीजों और व्यापक आर्थिक प्रतिकूलताओं के बावजूद भारतीय शेयर बाजारों का उच्च मूल्यांकन निवेशकों को सावधान कर रहा है. इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित नीतियों ने भी निवेशकों को सावधानी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है. ऐसे में निवेशक जोखिम भरे निवेश के रास्ते से दूर रहने के लिए मजबूर हैं.

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 जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ''डॉलर की लगातार मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि एफआईआई की बिक्री को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक रहे हैं. जब तक डॉलर सूचकांक 108 से ऊपर रहेगा और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगा, तब तक बिक्री जारी रहने का अनुमान है.'' वित्तीय क्षेत्र को खासतौर से एफपीआई की बिकवाली का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दूसरी ओर, आईटी क्षेत्र में कुछ खरीदारी देखी गई.

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