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अभी इस महीने का एक कारोबारी सत्र बचा है. (Image: FE File)
FPIs inflow: भारतीय शेयर बाजार पर बीते कुछ हफ्तों से विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) का भरोसा लगातार कायम है. सितंबर में अबतक उन्होंने 57,359 करोड़ रुपये के शेयर खरीद चुके हैं. यह उनका इस साल एक महीने में किया गया सबसे अधिक निवेश है. पिछले साल आखिरी महीने में एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश 66 हजार करोड़ रुपये से अधिक था. सितंबर 2024 का अभी एक कारोबारी सत्र बचा हुआ है. शेयर्स के अलावा विदेशी निवेशकों ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से 8,543 करोड़ रुपये और पूर्ण रूप से सुलभ मार्ग (एफआरआर) के माध्यम से 22,023 करोड़ रुपये डाले.
सितंबर में अबतक विदेशी निवेशकों ने खरीदे रिकॉर्ड शेयर्स
अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की कटौती के बाद एफपीआई का भारतीय बाजार में निवेश लगातार बढ़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने इस महीने 27 सितंबर तक भारतीय शेयर बाजारों में 57,359 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक भारतीय शेयरों में एफपीआई का निवेश है. पिछले साल दिसंबर में विदेशी निवेशकों ने 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था. इस साल जून महीने से एफपीआई लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए हैं. अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये निकाले थे. कुल मिलाकर इस साल जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे हैं. इस साल यानी 2024 में एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है.
शोध विश्लेषक कंपनी गोलफाई के स्मॉलकेस प्रबंधक और संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रॉबिन आर्य ने कहा, ‘‘आगे चलकर एफपीआई का प्रवाह मजबूत बना रहेगा। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में कटौती तथा भारत की मजबूत बुनियाद की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार पर दांव लगा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के मंहगाई दर मैनेजनमेंट और लिक्विडिटी से संबंधित फैसले इस रफ्तार को कायम रखने के लिए महत्वपूर्ण होंगे.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कई वजहों ने भारतीय शेयर बाजारों में एफपीआई के प्रवाह में उछाल आया है. इसमें एक प्रमुख वजह अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का चक्र शुरू करना है.
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