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बुधवार यानी 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहेंगे. (Image: FE File)
Market Outlook this week: ग्लोबल ट्रेंड, विदेशी निवेशकों की गतिविधियों और घरेलू मोर्चे पर वृहद आर्थिक आंकड़ों से इस कम कारोबारी सत्र वाले हफ्ते में शेयर बाजार की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. बुधवार यानी 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती’ के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहेंगे. घरेलू मोर्चे पर वाहन बिक्री के मंथली डेटा और कंपनियों के तिमाही नतीजों से निकट भविष्य में शेयर विशेष गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं. इस हफ्ते विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) का आंकड़ा बाजार की चाल को प्रभावित करेगा.
बीते हफ्ते बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,027.54 अंक या 1.21 फीसदी की बढ़त में रहा. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 388 अंक या 1.50 फीसदी चढ़ गया. शुक्रवार को सेंसेक्स ने दिन में कारोबार के दौरान 85,978.25 के नए रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया. उसी दिन कारोबार के दौरान निफ्टी 26,277.35 अंक के नए उच्चस्तर तक गया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि ‘आगे निवेशकों की निगाह कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजों पर रहेगी. निवेशक कंपनियों की आमदनी में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं.
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा कि आगे फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर यानी एफआईआई (FII) के प्रवाह पर नजर बनाए रखना रोचक रहेगा. इस साल सितंबर में भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज़्यादा एफआईआई प्रवाह देखने को मिला है. कमोडिटीड प्राइस में उतार-चढ़ाव, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स और वहां के वृहद आर्थिक आंकड़ों से भी बाजार को दिशा मिलेगी. साथ ही भू-राजनीतिक घटनाक्रम वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण कारक बने रहेंगे.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि हमें उम्मीद है कि प्रमुख शेयर्स की अगुवाई में बाजार का सकारात्मक रुख जारी रहेगा.
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजित मिश्रा ने कहा कि आगे चलकर घरेलू संकेतकों के अभाव में वैश्विक कारक बाजार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर को जारी होने वाले वाहन बिक्री के आंकड़ों पर सभी की निगाह रहेगी. इसके अलावा एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई और एचएसबीसी इंडिया सेवा पीएमआई के आंकड़े भी अहम रहेंगे. साथ ही विदेशी कोषों के प्रवाह और कच्चे तेल की कीमतों के उतार-चढ़ाव पर भी सभी की निगाह रहेगी.