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भारत-मॉरीशस कर संधि में बदलाव की आशंका के चलते शुक्रवार को एफपीआई ने 8,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. (Image: FE File)
घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति और आर्थिक वृद्धि की बेहतर संभावनाओं के चलते विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) ने अप्रैल के पहले दो हफ्ते में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 13,300 करोड़ रुपये से अधिक डाले हैं. इस दौरान एफपीआई ने डेट मार्केट यानी बॉन्ड बाजार में भी 1,522 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जानकारों का मानना है कि ईरान-इजराइल के बीच बढ़ रहे तनाव का असर निकट अवधि में एफपीआई के निवेश पर देखने को मिल सकता है.
अप्रैल में अबतक FPI ने खरीदे 13,347 करोड़ के शेयर्स
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने 12 अप्रैल तक भारतीय शेयर्स में शुद्ध रूप से 13,347 करोड़ रुपये का निवेश किया है. हालांकि, भारत-मॉरीशस कर संधि में बदलाव की आशंका के चलते शुक्रवार को एफपीआई ने 8,027 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. आंकड़ों के मुताबिक मार्च में 35,000 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद एफपीआई ने शुद्ध निकासी की. इस साल जनवरी में भी एफपीआई ने 25,743 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. कुल मिलाकर इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई कुल 24,241 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं.
बॉन्ड बाजार में डाले 1,522 करोड़
शेयरों के अलावा एफपीआई ने इस दौरान बॉन्ड बाजार में 1,522 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है. जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाने की घोषणा के बाद से एफपीआई भारतीय बॉन्ड बाजार में पैसा लगा रहे हैं. उन्होंने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस तरह से 2024 में अबतक विदेशी निवेशकों का बॉन्ड बाजार में निवेश 57,380 करोड़ रुपये रहा है.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारत-मॉरीशस कर संधि में बदलावों पर चिंता एफपीआई प्रवाह पर असर डालेगी. यह स्थिति नई संधि के विवरण पर स्पष्टता आने तक बनी रह सकती है.’’ उन्होंने कहा कि एक और बड़ी चिंता पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव है. ईरान-इजराइल के बीच तनाव बढ़ रहा है जिसका असर निकट अवधि में एफपीआई के निवेश पर देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) के पास काफी नकदी है. इसके अलावा खुदरा निवेशक तथा उच्च संपदा वाले व्यक्ति यानी एचएनआई भारतीय बाजार को लेकर आशान्वित हैं. ऐसे में एफपीआई की बिकवाली की भरपाई यहां से हो जाएगी.
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि वृद्धि संबंधी चिंताओं के कारण फिच द्वारा चीन की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से घटाकर नकारात्मक करने की वजह से भारतीय बाजारों को भारी निवेश मिला है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा मानसून सामान्य रहने की उम्मीद तथा मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था के बीच वृद्धि तेज रहने की उम्मीद से भी एफपीआई का भारतीय बाजारों को लेकर आकर्षण बढ़ा है.
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