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FPI: जून में विदेशी निवेशकों ने खरीदे 47,148 करोड़ के शेयर, बीते 10 महीने में सबसे अधिक निवेश, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट का मानना है कि जुलाई में एफपीआई की तरफ से भारतीय शेयर्स में निवेश कम हो सकता है क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया टिप्पणियों से यह सतर्क रुख अपना सकते हैं.

एक्सपर्ट का मानना है कि जुलाई में एफपीआई की तरफ से भारतीय शेयर्स में निवेश कम हो सकता है क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया टिप्पणियों से यह सतर्क रुख अपना सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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FPI in June: जून में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 47,148 करोड़ रुपये का निवेश किया.

विदेशी निवेशक यानी एफपीआई (FPI) ने जून में भारतीय शेयर बाजार में 47,148 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह राशि पिछले 10 महीने में सबसे अधिक है. वित्तीय परामर्श कंपनी क्रेविंग अल्फा के प्रिंसिपल पार्टनर मयंक मेहरा ने हालांकि कहा कि जुलाई में निवेश कम हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया टिप्पणियों से एफपीआई सतर्क रुख अपना सकते हैं.

आंकड़ों के मुताबिक जून में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 47,148 करोड़ रुपये का निवेश किया. बीते 10 महीनों में जून 2023 एफपीआई के लिए भारतीय शेयर बाजार में निवेश का सबसे उच्चतम स्तर रहा. आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त 2022 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर्स में 51,204 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

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जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई आगे चलकर थोड़ा सतर्क हो सकते हैं, क्योंकि देश में मूल्यांकन अल्पकालिक नजरिए से थोड़ा अधिक है. उनका कहना है कि भारत के लगातार बेहतर हो रहे मैक्रोज़ के कारण निरंतर एफपीआई प्रवाह ने बाजारों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. देश में निरंतर एफपीआई प्रवाह का प्रमुख कारण "बाई इंडिया, सेल चाइना" (Buy India, Sell China) की एफपीआई रणनीति में बदलाव है. इससे पहले जनवरी और फरवरी में विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी से बाहर निकल रहे थे. वे चीन में भारी निवेश कर रहे थे क्योंकि यह कोविड के बाद खुला था और विकास और कमाई में पुनरुद्धार की उम्मीद थी.

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कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि मुख्य रूप से मजबूत घरेलू मैक्रोज़ के साथ-साथ तीव्र मानसून गतिविधि और निराशाजनक वैश्विक आर्थिक तस्वीर के कारण एफपीआई भारतीय बाजारों में तेजी का रुख बनाए हुए हैं.

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर, मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपने दर वृद्धि चक्र पर रोक लगाने के बाद भावनाओं को बढ़ावा मिला है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों में प्रवाह शुरू हो गया है. इससे पता चलता है कि एफपीआई भारतीय बाजारों से बेहतर ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने एक अन्य कारण भी बताया और कहा कि चीन की आर्थिक सुधार पर चिंता है, अमेरिका और ब्रिटेन में भी अनिश्चित माहौल बना हुआ है इस सब वजहों से भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह बढ़ाने में मदद की है.

एफपीआई ने जून में डेट मार्केट में लगाए 9,200 करोड़

सेक्टर के लिहाज से देखें तो एफपीआई ने वित्तीय, ऑटोमोबाइल, पूंजीगत सामान और निर्माण-संबंधी शेयरों में निवेश करना जारी रखा है. इक्विटी के अलावा एफपीआई ने जून में डेट मार्केट में करीब 9,200 करोड़ रुपये का निवेश किया. 2023 में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी में 76,406 करोड़ रुपये और डेट मार्केट में 16,722 करोड़ रुपये लगाए हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी में एफपीआई निवेश इस साल मई में 43,838 करोड़ रुपये, अप्रैल में 11,631 करोड़ रुपये और मार्च में 7,936 करोड़ रुपये था. इससे पहले एफपीआई ने जनवरी और फरवरी में इक्विटी से शुद्ध रूप से 34,000 करोड़ रुपये निकाले थे.

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