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FPI: विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयरों से लगातार बिकवाली जारी, नवंबर में अबतक बेचे 22420 करोड़ के शेयर

FPI Outflow: घरेलू शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन, चीन में बढ़ते आवंटन और अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशकों ने नवंबर में अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,420 करोड़ रुपए निकाले.

FPI Outflow: घरेलू शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन, चीन में बढ़ते आवंटन और अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशकों ने नवंबर में अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,420 करोड़ रुपए निकाले.

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FE Hindi Desk
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FPI Outflow: इक्विटी के अलावा विदेशी निवेशकों ने डेट जनरल लिमिट में 42 करोड़ रुपये और डेट स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) में 362 करोड़ रुपये का निवेश किया. (Image: FE File)

FPIs selling-spree continues; withdraw Rs 22,420 crore from equities in November: विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयरो से लगातार निकासी जारी है. घरेलू शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन, चीन में बढ़ते आवंटन और अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी के कारण विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से 22,420 करोड़ रुपए निकाले. इस बिकवाली के साथ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2024 में अब तक कुल 15,827 करोड़ रुपये निकाले.

आंकड़ों के अनुसार, इस महीने अब तक एफपीआई ने 22,420 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर्ज की है. यह अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी के बाद आया है, जो सबसे खराब मासिक निकासी थी. इससे पहले, मार्च, 2020 में एफपीआई ने इक्विटी से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे. सितंबर, 2024 में विदेशी निवेशकों ने नौ महीने के उच्चतम स्तर 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया.

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इक्विटी के अलावा विदेशी निवेशकों ने डेट जनरल लिमिट में 42 करोड़ रुपये और डेट स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) में 362 करोड़ रुपये का निवेश किया. इस साल अब तक एफपीआई ने डेट बाजार यानी बॉन्ड बाजार में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

फोरविस माजर्स इन इंडिया के साझेदार, वित्तीय सलाहकार अखिल पुरी ने कहा कि तरलता कम होने के साथ-साथ एफपीआई प्रवाह अल्पावधि में कम रहने की उम्मीद है. जनवरी की शुरुआत से पहले एफपीआई गतिविधि में सकारात्मक बदलाव की संभावना नहीं है, जिससे कुल मिलाकर बाजार की धारणा कमज़ोर बनी हुई है. 

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अक्टूबर से एफपीआई की लगातार बिकवाली तीन कारकों के संयुक्त प्रभाव के कारण हुई है. ये कारक भारत में उच्च मूल्यांकन, आय में गिरावट को लेकर चिंताएं और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के कारण भी धारणाएं प्रभावित हुई हैं.

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