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GARP: निवेश के लिए शेयर चुनने का स्‍मार्ट तरीका, लंबी अवधि में दौलत बढ़ाने की है क्षमता, ओवरप्राइसिंग से करता है सेफ

Growth Stocks: GARP निवेश की ऐसी रणनीति है जो शेयरों की पहचान करने के लिए ग्रोथ और वैल्‍यू दोनों का ध्‍यान रखता है. इसमें निवेशक उन कंपनियों से दूर रहते हैं, जिनका वैल्‍युएशन ज्‍यादा है.

Growth Stocks: GARP निवेश की ऐसी रणनीति है जो शेयरों की पहचान करने के लिए ग्रोथ और वैल्‍यू दोनों का ध्‍यान रखता है. इसमें निवेशक उन कंपनियों से दूर रहते हैं, जिनका वैल्‍युएशन ज्‍यादा है.

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Sushil Tripathi
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GARP Strategy

GARP: किसी भी शेयर को चुनते समय ग्रोथ और वैल्यू दोनों को ध्यान में रखना जरूरी है.

Growth at Reasonable Price: पिछले कुछ महीनों में निवेश के लिए GARP स्‍ट्रैटेजी यानी उचित वैल्‍यू पर ग्रोथ (ग्रोथ एट रीजनेबल प्राइस) एक भरोसेमंद स्‍ट्रैटेजी बन गया है. खासतौर से जब महामारी के दौरान ग्‍लोबल सेंट्रल बैंकों ने अर्थव्‍यवस्‍था को सपोर्ट करने के लिए ब्‍याज दरों को घटाना शुरू किया था, जिससे लिक्विडिटी बढ़ी थी. यह एक ऐसा निवेश या स्‍टॉक चुनने में मदद करता है जो ओवरप्राइसिंग से बचने के साथ-साथ वैल्‍यू ट्रैप से बचने में मदद करता है. क्‍या है ग्रोथ एट रीजनेबल प्राइस स्‍ट्रैटेजी और इसका क्‍यों बढ़ रहा है आकर्षण, इस बारे में PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो मैनेजर - PMS, सुरजीत सिंह अरोड़ा ने जानकारी दी है.

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सुरजीत सिंह अरोड़ा का कहना है कि ग्रोथ और वैल्‍यू दोनों ही बाजार की विशेषताओं में शामिल हैं. निवेशक ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं, जो बाजार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकें. बाजार में ग्रोथ और वैल्‍यू अलग-अलग समय अवधि के दौरान सामने आती हैं. उदाहरण के लिए, वैल्यू शेयरों ने पिछले 2 साल कमबैक किया है. GARP निवेश का एक ऐसा सिद्धांत है, जो ग्रोथ और वैल्‍यू दोनों को मिलाता है. इसके तहत उन कंपनियों की तलाश की जाती है, जिनकी मौजूदा मार्केट प्राइस उनके आंतरिक मूल्य से कम होती है. यानी एक निवेशक के रूप में, किसी को एक ऐसे ग्रोथ स्टॉक की पहचान करनी चाहिए जो अंडरवैल्यूड हो और फिर जब आय सही साबित हो तो कीमत बढ़ा दें.

निवेश के लिए पर्याप्‍त नहीं है पिछला ट्रैक रिकॉर्ड

आमतौर पर निवेशक संरचनात्मक रूप से मजबूत कंपनियों में निवेश करते हैं, जिन्हें अच्छी क्वालिटी वाली कंपनियां कहा जाता है. यह एक ऐसी कंपनी होती है, जो रेवेन्यू के मामले में मिनिमम स्केल पर पहुंच गई है, और एक मजबूत कंपनी के रूप में उभरी है. उसमें लगातार कैश फ्लो बना हुआ है और पिछले 10 साल में हाई रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड में निरंतरता है. दूसरा पहलू हमेशा उन कंपनियों में निवेश करना रहा है, जो किसी विशेष डोमेन में मार्केट लीडर हैं. समय के साथ यह देखने को मिला है कि मंदी के बाद ऐसे मार्केट लीडर आमतौर पर बढ़ी हुई बाजार हिस्सेदारी के साथ मजबूत होकर कमबैक करती हैं. क्‍योंकि कमजोर प्रतियोगी आमतौर पर मंदी में बहुत पीछे रह जाती हैं. हालांकि निवेश के लिए किसी कंपनी का एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड (क्‍वालिटी) होना जरूरी है, लेकिन यह पोर्टफोलियो में शामिल होने के लिए पर्याप्त नहीं है. किसी कंपनी में निवेश के पहले इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए……

(a) अगले 3-5 साल में कंपनी की बिक्री और मुनाफा बढ़ाने की क्षमता

(b) लगातार अतिरिक्त बाहरी फंडिंग का सहारा लिए बिना कंपनी में ऐसा करने की क्षमता होनी चाहिए

(c) कैपिटल अलोकेशन में मैनेजमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड, और माइनॉरिटी शेयरधारकों के साथ व्यवहार

GARP स्‍ट्रैटेजी की खासियत

GARP की खासियत है कि यह वैल्‍यू और ग्रोथ इन्वेस्टिंग दोनों की सबसे अच्‍छी विशेषताओं को जोड़कर, लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न दिला सकता है. निवेश प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, हमारे पास किसी स्‍टॉक को चुनने के लिए फिल्टर हैं (हाई रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड या आरओसीई, लो लीवरेज, पॉजिटिव ऑपरेटिंग कैश फ्लो, बेहतर गवर्नेंस). हमारा मानना है कि इनमें से कई उपाय हमें बड़ी गलतियों से बचने में मदद करेंगे. लंबी अवधि में एक GARP-केंद्रित पोर्टफोलियो को निवेश के लिए चुनी जाने वाली कंपनियों की ग्रोथ स्‍टोरी का फायदा मिलता है और यह बेहतर रिस्‍क-एडजस्‍टेड रिटर्न पेश कर सकते हैं.

स्टॉक में रिटर्न आम तौर पर 2 कंपोनेंट के अनुरूप होता है. पहला कंपनी की भविष्य में कमाई में बढ़ोतरी करने की क्षमता. दूसरा स्टॉक का उचित मूल्यांकन करना, जो पीई री-रेटिंग का मौका देता है.

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EPS

GARP के तहत उन कंपनियों पर फोकस करते हैं जो 4-5 साल में प्रति शेयर आय (EPS) को दोगुना करने की क्षमता के साथ तेजी से अपनी कमाई बढ़ा सकती हैं. हालांकि 5 साल में कमाई का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण होता है. पोर्टफोलियो निर्माण की प्रक्रिया में एक रूपरेखा शामिल होती है, जहां ऐसा होने की संभावना अधिक होती है. रिस्क मैनेजमेंट में पॉजिटिव कैश फ्लो, लो लीवरेज्ड बैलेंस शीट (नेट डेट: इक्विटी <2) और बीते दिनों में कोई प्रमुख कॉर्पोरेट गवर्नेंस इश्यू शामिल नहीं हैं.

प्राइस/अर्निंग टु ग्रोथ

PEG रेश्यो GARP के सिद्धांत का एक उदाहरण है. स्‍ट्रैटेजी में अपनाया गया वैल्यूएशन पीईजी है, जहां पी/ई को अगले 3 साल में अनुमानित अर्निंग ग्रोथ से डिवाइड किया जाता है. यह सुनिश्चित करता है कि, हर बिजनेस, चाहे वह मजबूत स्‍ट्रक्‍चरल बिजनेस हो या साइक्लिक कमोडिटीज, एक कॉमन डिनॉमिनेटर ढांचे के माध्यम से चलती हैं और निश्चित रूप से प्रभावित होने वाले भ्रम या पूर्वाग्रहों को कम करती हैं.

वैल्‍यू ट्रैप से बचने में मदद

बाजार में आशावाद (ऑप्टिमिज्‍म) और निराशावाद (पेसिमिज्‍म) दोनों की अधिकता के बीच उतार चढ़ाव रहता है, जिसमें हम किसी भी कीमत पर ग्रोथ देखते हैं और साथ ही अत्यधिक वैल्‍यू कॉन्शियसनेस का उभरना भी देखते हैं. GARP अत्यधिक वैल्‍यू कॉन्शियसनेस से बचने के साथ-साथ वैल्‍यू ट्रैप से बचने में मदद करता है.

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