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विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार को लेकर सतर्क हो गए हैं.
विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों के महंगे वैल्यूएशन को लेकर सतर्क हैं लेकिन घरेलू निवेशकों की ओर से इनमें निवेश बढ़ता जा रहा है. स्विस ब्रोकरेज हाउस यूबीएस (UBS) के मुताबिक विदेशी निवेशक घरेलू निवेशकों की ओर से लगाए जा रहे दांव पर सवाल उठा रहे हैं. उन्हें लगता है कि नियर टर्म में घरेलू निवेशकों का यह रुख कितना स्थायी साबित होगा, कहा नहीं जा सकता. ब्रोकरेज हाउस यूबीएस ने एक रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ( FII) का हालिया रुख इसकी तस्दीक कर रहा है. मौजूदा सितंबर तिमाही में एफआईआई ने बाजार से अब तक 1.1 अरब डॉलर निकाल लिए हैं.
घरेलू निवेशकों का निवेश बढ़ा
एफआईआई (FII) भले ही बाजार से पैसे निकाल रहे हों लेकिन घरेलू निवेशकों की ओर से निवेश बढ़ रहा है. जून तिमाही में घरेलू निवेशकों ने 5 अरब डॉलर के शेयर खरीदे हैं. यूबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त रिटेल डायरेक्ट ओनरशिप बढ़ कर 12 साल के टॉप पर पहुंच चुकी है. चार तिमाहियों के बाद घरेलू म्यूचुअल फंड की ओर से फंड फ्लो पॉजिटिव हो गया है. दरअसल कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाओं को बावजूद वैक्सीनेशन में तेजी आई है और कंपनियों की कमाई भी बढ़ी है. ऐसे में मार्केट का सेंटिमेंट सुधरा है. म्यूचुअल फंड इस अवसर का लाभ ले रहे हैं.
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ग्रोथ रेट को लेकर सकारात्मक रुख
यूबीएस की रिपोर्ट में कहा गया गया है कि शेयरों के महंगे वैल्यूएशन के बाद री-रेटिंग की गुंजाइश काफी कम बची है. अगर low absolute returns जारी रहता है तो रिटेल निवेशकों की निवेश में कमी आ सकती है. ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी से नीचे रह सकता है. अगर इकोनॉमी पूरी तरह खुली तो जुलाई-सितंबर में जीडीपी में ग्रोथ रेट बढ़ कर 15 फीसदी तक पहुंच सकता है. जून तिमाही में जीडीपी में 11 फीसदी की गिरावट आई थी. यूबीएस के मुताबिक भारत में दिसंबर तक 40 फीसदी आबादी को कोरोना का टीका लग सकता है. वयस्क आबादी के 40 फीसदी को टीका लग सकता है.