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टीसीएस के बोर्ड ने 4,500 रुपये के भाव पर 18,000 करोड़ रुपये तक के शेयर बाइबैक को मंजूरी दी है. वहीं सात रुपये प्रति इक्विटी शेयर अंतरिम लाभांश (डिविडेंड) का भी ऐलान हुआ है.
TCS Share Buyback: देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के तिमाही नतीजों के साथ शेयरों के बाइबैक और डिविडेंड का भी ऐलान हुआ है. कंपनी ने बुधवार को नतीजों के साथ जानकारी दी थी कि बोर्ड ने 4,500 रुपये के भाव पर 18,000 करोड़ रुपये तक के शेयर बाइबैक को मंजूरी दी है. वहीं सात रुपये प्रति इक्विटी शेयर अंतरिम लाभांश (डिविडेंड) का भी ऐलान हुआ है. ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने टीसीएस के बाइबैक कार्यक्रम से अधिक से अधिक फायदा पाने के लिए निवेशकों को खास सलाह दी है.
ऐसे उठा सकते हैं TCS Share Buyback का अधिकतम फायदा
ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक टीसीएस में लांग टर्म के लिए निवेश करना बेहतर फैसला साबित हो सकता है क्योंकि देश के इस सबसे बड़े तकनीकी स्टॉक ने कई दशकों में निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक टीसीएस के शेयर बाइबैक कार्यक्रम का फायदा लेने के लिए बाईबैक डेट से पहले इसके शेयरों की डिलीवरी ले लें ताकि इसे भुना सकें. ब्रोकरेज फर्म इसके लिए मार्जिन ट्रेडिंग फैसिलिटी की उपलब्ध कराते हैं जिसके तहत शेयरों को टेंडर किया जाता है.
इस सुविधा के लिए ब्रोकरेज फर्म कुछ चार्ज भी वसूल करते हैं जिसकी भरपाई डिविडेंड से हो सकती है. बाइबैक कार्यक्रम के तहत शेयरों को आसानी से टेंडर कर सकते हैं. इसके लिए अपने ब्रोकर की साइट पर जाकर बाइबैक के विकल्प की तलाश करिए और फिर वहां शेयरों की संख्या भरिए, जिसे आप टेंडर करना चाहते हैं.
पांच साल में चौथी बार बाइबैक
टीसीएस ने 2017 से लेकर पांच साल में चौथी बार बाइबैक का ऐलान किया है और इस साल 2022 में यह किसी आईटी कंपनी का पहला बाइबैक एलान है. बाइबैक के दिन टीसीएस के शेयरों में एलान के दिन के मुकाबले उछाल रही है और वर्ष 2018 में इसके भाव 19 फीसदी तक मजबूत हुए थे. जिन कंपनियों के पास अधिक कैश सरप्लस होता है वे शेयर बाइबैक का फैसला करती हैं. शेयर बाइबैक के तहत कंपनी बाजार में मौजूद अपने शेयरों को वापस खरीदती है जिससे ओपन मार्केट में कंपनी के शेयरों की संख्या कम होती है. कंपनी बाइबैक इसलिए करती है क्योंकि ओपन मार्केट में शेयरों की संख्या कम होने से बाजार में उपलब्ध शेयर के भाव बढ़ते हैं और नतीजतन शेयरधारकों की वैल्यू भी बढ़ती है. इससे रिटर्न भी बढ़ता है.