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Tax Free SIP: टैक्स फ्री एसआईपी का कैसे उठाएं फायदा, क्या हैं इसके नियम, निवेश के पहले समझ लें गणित

Tax Benefits: SIP एक सुरक्षित और लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देने वाला विकल्‍प माना जाता है. सवाल उठता है कि इसमें पैसा लगाएं तो क्‍या टैक्‍स छूट का लाभ मिलेगा.

Tax Benefits: SIP एक सुरक्षित और लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देने वाला विकल्‍प माना जाता है. सवाल उठता है कि इसमें पैसा लगाएं तो क्‍या टैक्‍स छूट का लाभ मिलेगा.

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Sushil Tripathi
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Tax Free SIP

SIP: म्‍यूचुअल फंड एसआईपी की लोकप्रियता निवेश के लिहाज से भारत में लगातार बढ़ रही है.

How to do Tax Free SIP: म्‍यूचुअल फंड एसआईपी (SIP) यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की लोकप्रियता भारत में लगातार बढ़ रही है. यह एक सुरक्षित और लंबी अवधि के निवेश को बढ़ावा देने वाला विकल्‍प माना जाता है. म्‍यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए आपका पैसा अलग अलग कंपनियों के शेयरों और अलग अलग इन्‍वेस्‍टमेंट स्‍कीम में लगाया जाता है. एसआईपी आपको एक मुश्‍त पैसे निवेश करने की बजाए मंथली बेसिस पर निवेश का विकल्‍प देता है. अब यहां सवाल उठता है कि निवेश के इस पॉपुलर विकल्‍प में पैसा लगाएं तो क्‍या टैक्‍स छूट का लाभ मिलेगा. क्‍या सभी एसआईपी टैक्‍स फ्री होती हैं या ऐसा नहीं है.

म्‍यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए आपका पैसा अलग अलग कंपनियों के शेयरों और अलग अलग इन्‍वेस्‍टमेंट स्‍कीम में लगाया जाता है. एसआईपी आपको एक मुश्‍त पैसे निवेश करने की बजाए मंथली बेसिस पर एक तय रकम निवेश का विकल्‍प देता है. अच्‍छी बात यह है कि इसमें आप समय समय पर अपने निवेश का आकलन कर सकते हैं और उस आधार पर आप आगे के लिए फैसले ले सकते हैं. इसमें सुविधा यह है कि आपको बेहतर रिटर्न मिल रहा है तो आप इसमें टॉप अप का भी विकल्‍प ले सकते हैं. यानी हर साल आप एक निश्चित रेश्‍यो में एसआईपी की रकम बढ़ा सकते हैं. एसआईपी को आप कम से कम 500 रुपये से भी शुरू कर सकते हैं.

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SIP: पॉवर ऑफ कंपाउंडिंग

SIP एकमुश्त की बजाए निवेश का क अनुशासित तरीका है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आपका निवेश लगातार बढ़े. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पर कंपाउंडिंग की ताकत का फायदा मिलता है.जिससे आपके द्वारा सनिवेश किया गया पैसा एक बड़े कॉर्पस में बढ़ जाता है.

Rs 100 या Rs 500 से भी कर सकते हैं निवेश

म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम में कुछ फंड हाउस एसआईपी में मंथली 100 रुपये या 500 रुपये का भी विकल्‍प देते हैं. हालांकि कुछ स्‍कीम में एसआईपी मिनिमम 1000 रुपये से शुरू होती है.

एवरेजिंग का फायदा

एसआईपी के माध्यम से निवेश करते समय रुपये की औसत लागत का लाभ उठा सकते हैं. रुपी कॉस्ट एवरेजिंग आपको एसआईपी के साथ बाजार की अस्थिरता से भी लाभ देता है, क्योंकि आपकी निवेश राशि लंबी अवधि में स्थिर रहती है. एसआईपी के माध्यम से आपके द्वारा योगदान की गई निश्चित राशि से प्रत्येक यूनिट का मूल्य औसत हो जाता है. प्रति यूनिट अपनी औसत लागत को कम करने के लिए, जब बाजार गिर रहा हो तो आप अधिक यूनिट खरीद सकते हैं और जब बाजार बढ़ रहा हो तो कम यूनिट खरीद सकते हैं.

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कहां है टैक्‍स सेविंग SIP का लाभ?

अब सवाल उठता है कि क्‍या एसआईपी करने पर टैक्‍स छूट का लाभ मिलता है. BPN फिन‍कैप के डायरेक्‍टर एके निगम का कहना है कि अगर एसआईपी के जरिए टैक्‍स बेनेफिट लेना है तो इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग स्‍कीम यानी ELSS में पैसा लगाना होगा. ELSS म्‍यूचुअल फंड की ऐसी स्‍कीम है, जहां इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स छूट का लाभ मिलता है. उनका कहना है कि अगर ELSS म्‍यूचुअल फंड में आपकी एसआईपी 5 साल तक चली है तो इसमें हर साल 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्‍स छूट का लाभ लिया जा सकता है. अन्‍य इक्विटी योजनाओं में एसआईपी के जरिए किया जाने वाला निवेश टैक्‍स फ्री नहीं होता है. ELSS के जरिए भी आपका पैसा इक्विटी या इससे जुड़ इंस्‍ट्रूमेंट में लगाया जाता है. इसे टैक्‍स सेवर म्‍यूचुअल फंड कहा जाता है. इसमें लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस लगता है, लेकिन 1 लाख तक की आय टैक्‍स फ्री है. जबकि 80C के तहत जिन फिक्‍स्‍ड इनकम वाले विकल्‍पों में छूट मिलती है, उनमें होने वाली पूरी आय टैक्‍सेबल है.

इक्विटी फंड्स: आय पर टैक्स देनदारी

अगर इक्विटी फंड्स का होल्डिंग पीरियड 12 महीने से कम का है तो इस पर मिलने वाला प्रॉफिट शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स होगा और इस पर फ्लैट 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है. 12 महीने से अधिक तक की होल्डिंग पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स होगा और 1 लाख रुपये तक का गेन्स टैक्स-फ्री है. 1 लाख रुपये से अधिक का लांग टर्म कैपिटल गेन्स 10 फीसदी की दर से टैक्सेबल होता है और इस पर इंडेक्सेशन बेनेफिट भी नहीं मिलता है. इसके अलावा इस पर सेस व सरचार्ज भी लगाया जाता है.

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