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SBI Research की ताजा रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि अमेरिका के नए टैरिफ का भारत पर ज्यादा असर नहीं होगा. (File Photo : Financial Express)
SBI Research Report on US Tariff Impact on India : अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अपनी नई टैरिफ पॉलिसी के तहत स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया गया है, जिससे ग्लोबल ट्रेड पर असर पड़ने की संभावना है. SBI रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की अर्थव्यवस्था लंबे समय से धीमी रफ्तार से बढ़ रही है, और इसकी टैरिफ और ट्रेड पॉलिसी में अचानक आए बदलावों से ग्लोबल ट्रेड में उथल-पुथल देखी जा सकती है. SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन फैक्टर्स की वजह से भारत से अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट में 3-3.5% की गिरावट आ सकती है. लेकिन भारत ने अपनी एक्सपोर्ट स्ट्रैटजी को मजबूत किया है, जिससे संभावित निगेटिव असर को कम किया जा सकता है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गिरती रफ्तार
SBI की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ में गिरावट के संकेत मिल रहे हैं.
COVID-19 के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उछाल देखा गया, लेकिन यह मुख्य रूप से सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी की वजह से था.
अमेरिकी एक्सपोर्ट और कंजम्प्शन में गिरावट देखी जा रही है.
टोटल वैल्यू एडेड (Value Added) में कमी हो रही है और प्रोडक्टिविटी ग्रोथ (TFP Growth) में गिरावट दर्ज की गई है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में ऊंची लेबर कॉस्ट नए इनवेस्टमेंट प्लान्स पर बुरा असर डाल सकती है.
भारत-अमेरिका ट्रेड पर क्या होगा असर?
SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत से अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट में 3-3.5% की गिरावट आ सकती है. हालांकि भारत ने अपने एक्सपोर्ट को डायवर्सिफाई किया है और नए बाजारों की तलाश की है, जिससे इस असर को कम किया जा सकता है. भारत के एक्सपोर्ट का नया रूट यूरोप से होते हुए पश्चिम एशिया के जरिए अमेरिका तक बनाया जा रहा है.
चुनौतियों के बावजूद मजबूत है भारतीय अर्थव्यवस्था
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था ग्लोबल लेवल पर सामने आ रही चुनौतियों के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 भारत के लिए विदेशी संस्थागत निवेश (FII) के देश से बाहर जाने का साल (FII outflow) साबित होने के संकेत हैं. लेकिन इससे पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) के दौरान भारत में 41 बिलियन डॉलर का विदेशी संस्थागत निवेश आया, जो 2016 के बाद सबसे अधिक था. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में सिर्फ दो सेक्टर ऐसे हैं, जिनमें पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान लगातार विदेशी निवेश का आउटफ्लो देखने को मिला है. बाकी सभी सेक्टर्स में निवेश का मजबूत इनफ्लो देखा गया है. ये आंकड़े भारत के आर्थिक विकास (GDP Growth) को समर्थन देने वाले हैं.
FTA पर जोर देने का मिलेगा फायदा
SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) पर अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. इनमें रीजनल और द्विपक्षीय एग्रीमेंट शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की इस पहल का मकसद एक्सपोर्ट ओरिएंटेड डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है.
पिछले 5 साल में भारत ने मॉरीशस, UAE और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ 13 FTA साइन किए हैं.
इनके अलावा ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी भारत की FTA पर बातचीत जारी है, जिससे सर्विसेज, डिजिटल ट्रेड और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के क्षेत्र में आपसी व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.
ब्रिटेन (UK) के साथ FTA से 2030 तक द्विपक्षीय आपसी व्यापार में 15 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के मौजूदा माहौल में देश को इन FTAs से काफी फायदा होगा. उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स का फोकस डिजिटल ट्रेड को बढ़ावा देने पर रहेगा, जिससे 2025 में डिजिटल इकॉनमी के जरिये भारत की जीडीपी में 1 अरब डॉलर का इजाफा हो सकता है.
स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ का असर
SBI रिसर्च की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए 25% टैरिफ का क्या असर हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक:
2024 में अमेरिका का प्राइमरी स्टील इंपोर्ट 31 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो 2018 के 29.5 बिलियन डॉलर से अधिक था.
अमेरिका के प्रमुख स्टील सप्लायर हैं : कनाडा, ब्राजील, और मैक्सिको.
अमेरिका के प्रमुख एल्युमिनियम सप्लायर हैं : कनाडा, चीन और मैक्सिको.
भारत को अमेरिका के साथ एल्युमिनियम ट्रेड में 13 मिलियन डॉलर का और स्टील ट्रेड में 406 मिलियन डॉलर का घाटा हो रहा है.
अमेरिका द्वारा अपने ट्रेड पार्टनर्स पर लगाए गए नए टैरिफ से फायदा उठाकर भारत स्टील और एल्युमिनियम का एक्सपोर्ट बढ़ा भी सकता है.
SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की नई टैरिफ नीति का भारत पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि भारत को अपनी एक्सपोर्ट स्ट्रैटजी को और मजबूत करना होगा ताकि ग्लोबल ट्रेड में संभावित बदलावों का सामना किया जा सके. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स और डिजिटल व्यापार में भागीदारी बढ़ाकर भारत अपने एक्सपोर्ट और आर्थिक विकास को बनाए रखने में सफल हो सकता है.