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FPI Outflow: भारतीय शेयरों से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली जारी, मार्च में अबतक बेचे 30000 करोड़ के शेयर

FPI withdraw: विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने इस महीने 13 मार्च तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये निकाले हैं. यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है.

FPI withdraw: विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई ने इस महीने 13 मार्च तक भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये निकाले हैं. यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है.

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FE Hindi Desk
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इससे पहले फरवरी में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर्स से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे.

FPIs continue sell off withdraw Rs 30000 crore from equities in first fortnight in March 2025: विदेशी निवेशकों यानी एफपीआई (FPI) की भारतीय शेयर बाजारों से निकासी का सिलसिला जारी है. ग्लोबल ट्रेड को लेकर बढ़ रहे तनाव के बीच विदेशी निवेशकों ने मार्च महीने के पहले पखवाड़े में स्थानीय शेयर बाजारों से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाली है.

2025 में भारतीय शेयरों से 1.42 लाख करोड़ निकाल चुके हैं FPI

डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने इस महीने 13 मार्च तक भारतीय शेयर बाजारों से 30,015 करोड़ रुपये निकाले हैं. भारतीय शेयरों से निकासी का ये उनका लगातार 14वां सप्ताह है. इससे पहले फरवरी 2025 में उन्होंने शेयर्स से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी 2024 में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे. इस तरह से 2025 में अबतक विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.42 लाख करोड़ रुपये (16.5 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाल चुके हैं. कई वैश्विक और घरेलू कारकों से एफपीआई काफी समय से लगातार बिकवाली कर रहे हैं. वहीं समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड बाजार में जनरल लिमिट के जरिए 7,355 करोड़ रुपये का निवेश किया है और वॉलेंटरी रिटेंशन रूट से 325 करोड़ रुपये निकाले भी हैं.

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एफपीआई का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था. इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की व्यापार नीतियों को लेकर जो अनिश्चितता चल रही है, उससे वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता प्रभावित हुई है. ऐसे में एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर सतर्कता का रुख अपना रहे हैं.’’ एफपीआई की निकासी को बढ़ावा देने वाले अन्य प्रमुख कारक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल और डॉलर की मजबूती है. इसने अमेरिकी एसेट्स को और अधिक आकर्षक बना दिया है. साथ ही, भारतीय रुपये में गिरावट ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यह विदेशी निवेशकों के लिए रिटर्न को कम करता है.

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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत से एफपीआई पैसे निकाल कर चीन के शेयरों में लगा रहे हैं. चीन के शेयर बाजारों का प्रदर्शन अन्य बाजारों से बेहतर है. उन्होंने कहा, ‘‘डॉलर सूचकांक में हालिया गिरावट अमेरिका में फंड के प्रवाह को सीमित करेगी. हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार युद्ध से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण सोने और डॉलर जैसी सुरक्षित विकल्पों में अधिक निवेश जाने की संभावना है.

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