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डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन लगातार नवें महीने दोहरे अंकों में बनी रही और सालाना आधार पर बहुत अधिक रही.
WPI Inflation: लगातार चार महीने से बढ़ती थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर की तेजी पिछले महीने दिसंबर 2021 में थमी है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने WPI Inflation गिरकर 13.56 फीसदी पर रही. तेल, बिजली व मैन्युफैक्चरिंग आइटम्स के भाव में नरमी के चलते थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित इंफ्लेशन में यह गिरावट हुई. हालांकि अभी भी यह लगातार नवें महीने दोहरे अंकों में रही. नवंबर 2021 में डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन 14.23 फीसदी और दिसंबर 2020 में 1.95 फीसदी पर थी.
सालाना आधार पर कीमतों में तेजी से इंफ्लेशन की दर ऊंची
डब्ल्यूपीआई इंफ्लेशन लगातार नवें महीने दोहरे अंकों में बनी रही और सालाना आधार पर बहुत अधिक रही. इस पर कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा कि खनिज तेल, बेसिक मेटल्स, क्रूड पेट्रोलियम व नेचुरल गैस, केमिकल्स व केमिकल प्रोडक्ट्स, फूड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल व पेपर प्रोडक्ट्स इत्यादि की कीमतों में दिसंबर 2020 के मुकाबले तेजी के चलते पिछले महीने इंफ्लेशन की दर ऊंची रही.
हालांकि नवंबर 2021 से तुलना करें तो पिछले महीने मैन्यूफैक्चर्ड आइटम्स की इंफ्लेशन 11.92 फीसदी से गिरकर 10.62 फीसदी, फ्यूल व पॉवर बॉस्केट की 39.81 से फिसलकर 32.30 फीसदी रही. इसके विपरीत फूड आर्टिकल्स के इंफ्लेशन में तेजी रही. फूड आर्टिकल्स का इंफ्लेशन नवंबर 2021 में 4.88 फीसदी से बढ़कर दिसंबर में 9.56 फीसदी हो गई. सब्जियों के भाव के बढ़ने की दर (इंफ्लेशन) इस अवधि में 3.91 फीसदी से बढ़कर 31.56 फीसदी हो गई.
खुदरा महंगाई 6 महीने के रिकॉर्ड स्तर पर
खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने के चलते पिछले महीने दिसंबर 2021 में खुदरा महंगाई बढ़ने की दर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई जो पिछले साल जुलाई के बाद सबसे अधिक है. वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ नवंबर में नौ महीने के निचले स्तर 1.4 फीसदी पर पहुंच गई. इसके चलते सरकार के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है क्योंकि अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. खुदरा महंगाई के बढ़ने की दर दिसंबर 2021 में केंद्रीय बैंक RBI के तय लक्ष्य 2-6 फीसदी के अपर लिमिट के करीब पहुंच गया.