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2024 की पहली छमाही में कंपनियों के मजबूत वित्तीय नतीजों, घरेलू कोषों के प्रवाह में उछाल और मजबूत वृहद परिदृश्य की वजह से निफ्टी सितंबर, 2024 में 26,277.35 अंक के ऑल टाइम हाई पर पहुंचा गया था. Photograph: (Freepik)
‘दलाल स्ट्रीट’ के लिए 2024 का साल काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. साल के दौरान जहां भारतीय शेयर बाजारों ने कई बार रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर उसे बीच-बीच बड़े नुकसान का भी सामना करना पड़ा. हालांकि, इसके बावजूद डोमेस्टिक फंड फ्लो (domestic fund flows) और मजबूत वृहद परिदृश्य की वजह से स्थानीय शेयरों ने साल के दौरान निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिए.
सितंबर में ऑल टाइम हाई पर पहुंचा गया था निफ्टी
मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने एक नोट में कहा है कि साल की पहली छमाही में कंपनियों के मजबूत वित्तीय नतीजों, घरेलू कोषों के प्रवाह में उछाल और मजबूत वृहद परिदृश्य की वजह से निफ्टी सितंबर, 2024 में 26,277.35 अंक के ऑल टाइम हाई पर पहुंचा गया था. नोट में कहा गया, ‘‘पिछले दो माह में बाजार अपने ऑल टाइम हाई से नीचे आ गया है. यह 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद तीसरी बड़ी गिरावट थी. इसकी मुख्य वजह घरेलू और वैश्विक कारकों की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की जबर्दस्त बिकवाली है.’’
इस साल 27 दिसंबर तक बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 6,458.81 अंक या 8.94 फीसदी चढ़ा है. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 2,082 अंक या 9.58 फीसदी का उछाल आया है. यह साल काफी घटनाक्रमों का रहा. साल के दौरान भारत में आम चुनाव के अलावा अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव मुख्य घटनाक्रम रहे. इसके अलावा शेयर बाजारों पर दो प्रमुख भू-राजनीतिक घटनाक्रमों...इजरायल-ईरान संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध का भी असर पड़ा.
सल 2024 में तेजड़ियों और मंदड़ियों के बीच काफी संघर्ष देखने को मिला. वैश्विक वृहद आर्थिक आंकड़ों और जिओ पॉलिटिकल टेंशन ने बाजार को काफी प्रभावित किया, जिसकी वजह से बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला. हालांकि, दुनियाभर में अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय बाजारों ने काफी हद तक दबाव के बीच अच्छा प्रदर्शन किया और निवेशकों को बेहतर रिटर्न दिया.
वैल्यूएशन में भी हुआ इजाफा
मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च-रिसर्च एनालिस्ट प्रशांत तापसे ने कहा कि यह वैल्यूएशन में उछाल का साल भी था, जिसने भारतीय बाजारों को दुनिया में सबसे महंगा बना दिया. बाजार में अतिरिक्त लिक्विडिटी ने वैल्यूएशन को ऊंचाई पर पहुंचा दिया जिसकी वजह से अंतत: ‘करेक्शन’ देखने को मिला. बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इस साल 27 सितंबर को 85,978.25 के अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था. उसी दिन निफ्टी ने भी अपने 26,277.35 अंक के ऑल टाइम हाई को छुआ था.
शेयर बाजार ने निवेशकों को लगातार नौवें साल दिया रिटर्न
2024 लगातार नौवां साल रहा है जबकि स्थानीय शेयर बाजारों ने निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है. इस दौरान छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन बड़ी कंपनियों से बेहतर रहा. यही वजह है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने निवेशकों को ‘लार्जकैप’ की तुलना में अधिक रिटर्न दिया है.
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा कि हालांकि, निफ्टी और सेंसेक्स का प्रदर्शन अन्य देशों विशेषरूप से अमेरिका के बाजारों से कमजोर रहा है. इस खराब प्रदर्शन की वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की जबर्दस्त बिकवाली है.’’
सितंबर के अपने ऑल टाइम हाई से सेंसेक्स 8.46 फीसदी नीचे आ चुका है. वहीं, निफ्टी रिकॉर्ड स्तर से 9.37 फीसदी टूट चुका है. अकेले अक्टूबर में सेंसेक्स 4,910.72 अंक या 5.82 फीसदी नीचे आया था. इसी महीने निफ्टी में 1,605.5 अंक या 6.22 फीसदी की गिरावट आई थी. दिसंबर में अबतक सेंसेक्स 1,103.72 अंक या 1.38 फीसदी नीचे आया है. अक्टूबर में एफआईआई ने भारतीय बाजारों से 94,017 करोड़ रुपये की निकासी की थी. बीते साल यानी 2023 में सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 फीसदी चढ़ा था. वहीं निफ्टी 3,626.1 अंक या 20 फीसदी के लाभ में रहा था.