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Gold Investment: सोने में निवेश के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) बेस्ट विकल्प हो सकता है.
Why Should You Buy Gold: अमेरिकी रिटेल इनफ्लेशन में कमी और यूएस फेड द्वारा रेट हाइक में नरमी के संकेत के बीच नवंबर 2022 से ग्लोबल लेवल पर पर सोने की कीमतों में तेजी आई है. अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ बॉन्ड यील्ड में भी गिरावट आई है, जिससे सोने को सपोर्ट मिल रहा है. आर्थिक अनिश्चितता के बीच दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने पोर्टफोलियों को डाइवर्सिफाई करने के लिए सोना खरीद रहे हैं, वहीं चीन में भी बाजारों के खुलने से सोने की मांग बढ़ी है. ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि सोने ने सितंबर 2020 में अपने रिकॉर्ड हाई के लवेल को हाल ही में ब्रेक किया है. ब्रेकआउट के बाद चार्ट पर यह मजबूत दिख रहा है. आने वाले 2 से 3 साल में इसमें 18 से 20 फीसदी रिटर्न मिल सकता है.
स्ट्रक्चरल अपट्रेंड बरकरार
सोने की कीमतों में स्ट्रक्चरल अपट्रेंड यानी बढ़ोतरी का रुझान बरकरार है क्योंकि इसने सितंबर 2020 के अपने आलटाइम हाई 56018 रुपये प्रति 10 ग्राम को हाल ही में पार किया था. गोल्ड ने ने पिछले 2 साल के ब्रॉडर कंसोलिडेशन लेवल (56000-44000) के ऊपर एक ब्रेकआउट किया है जो कीमतों के ऊपर की ओर बढ़ने का संकेत है.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में भी तेजी का रुख है. ऐतिहासिक रूप से, हमने पिछले 5 दशकों यानी 50 साल में यह ट्रेंड देखा है कि सोने की कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव 4 से 5 साल तक रहे हैं. वर्तमान संदर्भ में, हम करंट अपट्रेंड के मिड में हैं. उम्मीद है कि बाजार का लय कायम रहेगा और अगले कुछ सालों तक तेजी जारी रहेगी.
4 साल में 78 फीसदी रिटर्न
पिछले 4 महीनों में सोने की कीमतों में ग्लोबल और घरेलू लेवल पर 13 फीसदी की तेजी आई है. घरेलू स्तर पर, यह पिछले 2 साल में 28 फीसदी (13% CAGR) और पिछले 4 साल में 78 फीसदी (15.5% CAGR) बढ़ा है.
ग्लोबल गोल्ड प्राइस चार्ट
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डोमेस्टिक गोल्ड प्राइस चार्ट
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लॉन्ग टर्म में रहा है परफॉर्मर
लॉन्ग टर्म की बात करें तो गोल्ड रिटर्न देने के मामले में बेहतर रहा है. 40 से 50 साल की बात करें तो 1970 के बाद से US डॉलर के टर्म में सोने में एनुअल लॉन्ग टर्म रिटर्न 3.3 फीसदी रहा है. हालांकि, इसी अवधि के दौरान रुपये के टर्म में रिटर्न करीब 8.8 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है. रिटर्न अंतर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के डेप्रिएशन से समझा जा सकता है, जो कि पिछले 40-50 साल में इसी अवधि के दौरान लगभग 4 फीसदी है. यहां तक कि अमेरिका और भारत के बीच महंगाई का अंतर लगभग 4 फीसदी के आसपास है.
68000 रुपये तक जा सकता है गोल्ड
लंबी अवधि के चार्ट पर मजबूत प्राइस स्ट्रक्चर से भरोसा बढ़ रहा है कि अगले 2 से 3 साल में सोना 68000 रुपये प्रति 10 ग्राम का लेवल दिखा सकता है. इसलिए, निवेशकों को मल्टी ईयर अपट्रेंड से लाभ उठाने के लिए सेफ हैवन माने जाने वाले सोने में निवेश करना जारी रखना चाहिए. सोने की कीमतों में पिछले 2 साल शौलो रीट्रेसमेंट देखा गया है, जो पिछले 2 साल की रैली (31220-56018) के सिग्नलिंग स्ट्रेंथ का सिर्फ 50 फीसदी है.
कितना रखें अलोकेशन
सोना न सिर्फ महंगाई के खिलाफ हेजिंग यानी एक बचाव का काम करता है, बल्कि यह शेयर बाजारों में अनिश्चितता के दौर में सुरक्षित विकल्प (Gold a Safe Haven Asset) हो सकता है. फिलहाल अभी महंगाई भी है और बारजारों में अनिश्चितता भी. ऐसे में सोने में मौजूदा समय में 10 से 15 फीसदी अलोकेशन जरूर रखना चाहिए.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेस्ट विकल्प
ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि सोने में निवेश के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) बेस्ट विकल्प हो सकता है. इसमें आपको 2.5 फीसदी सालाना एडिशनल रिटर्न मिलता है, साथ ही कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता. अगर इन बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले सेकंडरी मार्केट में बेचा जाता है, तो इस तरह के लेनदेन पर होने वाले कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
अब तक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से भारत सरकार ने एसजीबी की 62 किश्तें जारी की हैं और लगभग 43000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. ऑनलाइन आवेदन करने वाले और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम डिस्काउंट मिलता है.
अनिश्चितता के बीच सेंट्रल बैंक ने की रिकॉर्ड खरीदारी
ग्लोबली ज्यादातर प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंक अपने कॉर्पस में सोना जोड़कर अपनी होल्डिंग में डाइवर्सिफिकेशन लाने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्य रूप से, यूएस ट्रीजरी को उनकी होल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है. केंद्रीय बैंकों ने कैलेंडर वर्ष 2022 में 1136 टन से अधिक सोना खरीदा, जो किसी भी कैलेंडर वर्ष में सबसे अधिक है. कैलेंडर वर्ष 2022 में अधिकांश खरीदारी तीसरी और चौथी तिमाही में हुई जो हाल की खरीदारी ट्रेंड को दर्शाती है. असल में जियो पॉलिटिकल टेंशन और आर्थिक अनिश्चितता के चलते केंद्रीय बैंकों ने सुरक्षित और लिक्विड एसेट्स में निवेश पर फोकस किया है.
इन वजहों से भी मिला सपोर्ट
सोने में सेफ हैवन के रूप में जोरदार डिमांड को कोविड-19 महामारी के चलते बल मिला. हाल ही में अमेरिकी रिटेल महंगाई में नरमी और यूएस फेड द्वारा नरमी के संकेत के चलते सोने की कीमतों में बढ़ोतरी हुई. अमेरिकी डॉलर के साथ-साथ अमेरिकी बांड यील्ड में भी नरमी आने से सोने को सपोर्ट मिला है. वहीं इक्विटी में अनिश्चितता, जियोपॉलिटिकल टेंशन ने भी सेफ हैवन डिमांड बढ़ाई है.