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CPI Inflation and IIP Data : आर्थिक मोर्चे पर मिलेजुले संकेत, महंगाई दर घटी, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में 4% की भारी गिरावट

Latest CPI Inflation and IIP Data: ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर तो घटकर 5.88% पर आ गई है, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में 4% की जबरदस्त गिरावट भी देखने को मिली है.

Latest CPI Inflation and IIP Data: ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर तो घटकर 5.88% पर आ गई है, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में 4% की जबरदस्त गिरावट भी देखने को मिली है.

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Viplav Rahi
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November CPI, October IIP Data Today:

सरकारी आंकड़े जहां एक तरफ खुदरा महंगाई के मोर्चे पर हालात में कुछ सुधार के संकेत दे रहे हैं, वहीं ग्रोथ के मामले में ताजा आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. (File Photo: Reuters)

India Inflation Rate November 2022, October IIP Growth Rate: देश की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मिलीजुली खबर आई है. आज जारी सरकारी आंकड़े जहां एक तरफ खुदरा महंगाई के मोर्चे पर हालात में कुछ सुधार के संकेत दे रहे हैं, वहीं ग्रोथ के मामले में ताजा आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. ये दोनों ही ताजा आंकड़े भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की तरफ से सोमवार को जारी किए गए हैं. 

इन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के महीने में  देश की खुदरा महंगाई दर, जिसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर नापा जाता है, घटकर 5.88 फीसदी हो गई. यह पिछले 11 महीनों के दौरान खुदरा महंगाई दर का सबसे कम स्तर है. अक्टूबर के महीने में यह दर 6.77 फीसदी की ऊंचाई पर थी. अच्छी बात यह भी है कि खुदरा महंगाई दर में यह कमी खाने-पीने की चीजों के दामों में नरमी के कारण आई है. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2022 के दौरान कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में शामिल खाने-पीने की चीजों के दाम 4.67 फीसदी की दर से बढ़े, जबकि उसके पिछले महीने यानी अक्टूबर 2022 में यह वृद्धि दर 7.01 फीसदी की रही थी.

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खुदरा महंगाई दर RBI के लक्ष्य के दायरे में आना राहत की बात

रिटेल इंफ्लेशन का काबू में आना निश्चित तौर पर बड़ी राहत देने वाली खबर है, क्योंकि महंगाई दर लंबे समय के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्धारित लक्ष्य के दायरे में आई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) अपनी मॉनेटरी पॉलिसी बनाते समय खुदरा महंगाई दर को ही रेफरेंस के तौर पर लेता है. सरकार ने उसे खुदरा महंगाई दर को कम से कम 2 फीसदी और अधिकतम 6 फीसदी के बीच बनाए रखने का लक्ष्य दिया है. लेकिन पिछले 11 महीनों से रिटेल इंफ्लेशन इस दायरे से बाहर ही चल रहा था. इससे पहले रिटेल इंफ्लेशन आरबीआई के निर्धारित दायरे में आखिरी बार दिसंबर 2021 में आया था, जब यह 5.66 फीसदी पर था.

महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाता रहा है RBI

महंगाई दर के ऊंचे स्तर के कारण आरबीआई पिछले दिनों ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी करता रहा है. इसी 7 दिसंबर को उसने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में रेपो रेट में 35 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा किया. जिसके बाद यह 5.40 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया. इससे पहले 30 सितंबर को भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्‍वॉइंट, अगस्‍त 2002 में 50 बेसिस प्‍वॉइंट, जून में 50 बेसिस प्वॉइंट और मई में 40 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा किया था. महंगाई दर के काबू में आने पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला रुकने की उम्मीद है, जो ग्रोथ के लिए अच्छा कदम होगा.

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IIP में गिरावट चिंता की वजह

महंगाई दर के मोर्चे पर राहत देने वाले इस आंकड़े के साथ ही दूसरा आंकड़ा देश में औद्योगिक विकास दर का आया है. इसके मुताबिक अक्टूबर 2022 में देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) में 4 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली है. इसके मुकाबले अक्टूबर 2021 में देश के औद्योगिक उत्पादन में 4.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी. NSO द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2022 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट के निगेटिव हो जाने की सबसे बड़ी वजह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आई भारी गिरावट है. इसके अलावा माइनिंग और पावर सेक्टर की ग्रोथ रेट भी अच्छी नहीं रही है. अक्टूबर 2022 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन में 5.6 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली, जबकि माइनिंग सेक्टर का उत्पादन महज 2.5 फीसदी और बिजली उत्पादन सिर्फ 1.2 फीसदी ही बढ़ा.

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