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बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल के मुताबिक इस साल रुपये में गिरावट जारी रहेगी.
Indian rupee to drop further to 84.50 per USD by year end: भारतीय करेंसी में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा और इस साल के अंत तक एक अमेरिकी डॉलर का भाव 84.50 रुपये तक जा सकता है. ये अनुमान बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल में सामने आए हैं. गुरुवार को कराए गए इस पोल में शामिल एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत का व्यापार घाटा बढ़ना और अमेरिका में ब्याज दरों में लगातार इजाफा रुपये में गिरावट की बड़ी वजह है.
इस साल 12% गिर चुका है रुपया
अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के पोल में शामिल 14 बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के अनुमानों पर यकीन करें तो इस साल रुपये में कम से कम 9 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. भारतीय करेंसी इस साल अब तक करीब 12 फीसदी गिर चुकी है. इससे पहले 2013 में पूरे साल के दौरान रुपये में इतनी गिरावट देखने को मिली थी. गुरुवार 20 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 83.29 तक चला गया था, लेकिन रिजर्व बैंक के दखल देने के बाद शाम को 82.75 पर बंद हुआ. बुधवार को यह 83.01 पर बंद हुआ था.
83.25 से 86 रुपये के बीच रह सकता है डॉलर
पोल में शामिल अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने इस साल के अंत तक एक डॉलर का भाव 83.25 से 86 रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान जाहिर किया है. सबके अनुमानों में अंतर जरूर है, लेकिन इस बात पर सभी सहमत हैं कि मौजूदा साल के दौरान रुपये में रिकवरी की उम्मीद नहीं है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस का अनुमान है कि दिसंबर तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के स्तर तक गिर सकता है, क्योंकि बाहरी कारणों में कोई सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है. न सिर्फ डॉलर में तेजी है, बल्कि स्थानीय फंडामेंटल्स भी कमजोर बने हुए हैं. भारत का करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) 3 से 3.5 फीसदी के बीच रहने के आसार हैं. व्यापार घाटा ऊंचे स्तर पर बने रहने के अलावा पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट भी अच्छा नहीं है. इन सभी कारणों से रुपये पर दबाव बना हुआ है.
व्यापार घाटा बढ़ा, इक्विटी से पूंजी का पलायन जारी
मौजूदा साल के पहले 9 महीनों के दौरान एवरेज मंथली ट्रेड डेफिसिट 23.2 अरब डॉलर रहा है, जबकि 2021 में यह एवरेज 15.3 अरब डॉलर था. दूसरी तरफ यूएस फेड के ब्याज दरें तेजी से बढ़ाने का कैपिटल फ्लो पर भी बुरा असर पड़ा है. फेड हाइक के कारण इस साल डॉलर इंडेक्स अब तक 18 फीसदी बढ़ चुका है, जिसके चलते निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे बाहर निकाल रहे हैं. NSDL के आंकड़ों के मुताबिक इस साल विदेशी निवेशक अब तक भारतीय इक्विटी से 23.4 अरब डॉलर और डेट से 1.4 अरब डॉलर की रकम निकालकर बाहर ले जा चुके हैं.