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Oxfam Report : ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट स्विट्ज़रलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की सालाना बैठक में पेश की है. (Photo courtesy : weforum.org)
Oxfam International Report in World Economic Forum, Davos : भारत की कुल संपत्ति के 40 फीसदी से अधिक हिस्से पर देश के महज एक फीसदी सबसे दौलतमंद लोगों का कब्जा है, जबकि 50 फीसदी आबादी के पास देश कुल संपत्ति का सिर्फ तीन फीसदी हिस्सा ही है. यह जानकारी समाजसेवी संगठन ऑक्सफैम इंटरनेशनल की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है. स्विट्ज़रलैंड के दावोस में हो रही वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) की सालाना बैठक के पहले दिन पेश इस रिपोर्ट में ऑक्सफैम ने आर्थिक गैर-बराबरी को कम करने के लिए बजट में उपाय किए जाने की मांग भी की है.
महामारी के दौरान 121% बढ़ी अरबपतियों की दौलत
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर नवंबर 2022 के दौरान देश के अरबपतियों की दौलत में 121 फीसदी का इजाफा हुआ है. रियल टर्म्स में देखें तो उनकी संपत्ति हर दिन 3,608 करोड़ रुपये बढ़ी है. ऑक्सफैम के मुताबिक देश में कुल अरबपतियों की संख्या 2020 में 102 थी, जो 2022 में डेढ़ गुने से ज्यादा बढ़कर 166 हो चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 100 सबसे रईस लोगों की कुल दौलत बढ़कर 660 अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 54.12 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है. यह रकम भारत सरकार के पूरे बजट को डेढ़ साल से ज्यादा वक्त तक फंड करने के लिए काफी है.
टैक्स कलेक्शन में अरबतियों का बेहद कम योगदान
ऑक्सफैम के मुताबिक देश में रईसों की संख्या और उनकी दौलत में इजाफा होने के बावजूद टैक्स में उनका योगदान बेहद कम है. रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 के दौरान गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के जरिए जुटाए गए 14.83 लाख करोड़ रुपये में देश के 10 फीसदी सबसे अमीर लोगों का योगदान महज 3 फीसदी रहा, जबकि इसमें करीब 64 फीसदी योगदान उन लोगों ने किया, जो आर्थिक हैसियत के लिहाज से देश के सबसे कमजोर 50 फीसदी तबके में आते हैं.
टैक्स कलेक्शन में वाजिब योगदान करें रईस : ऑक्सफैम
रिपोर्ट को पेश करते हुए ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा, “देश में हाशिये पर मौजूद दलितों, आदिवासियों, मुस्लिमों, महिलाओं और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को लगातार एक ऐसे सिस्टम की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जो सबसे अमीर लोगों के पक्ष में झुका हुआ है. गरीब लोग अपनी आमदनी की तुलना में कहीं ज्यादा टैक्स चुका रहे हैं और अमीरों की तुलना में उन्हें जरूरी चीजों और सेवाओं पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. अब समय आ गया है कि अमीरों पर इस तरह से टैक्स लगाया जाए, जिससे वे कुल टैक्स में अपने वाजिब हिस्से का भुगतान करें.”
वेल्थ टैक्स और उत्तराधिकार टैक्स लागू करें वित्त मंत्री
बेहर ने केंद्रीय वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि वे वेल्थ टैक्स और उत्तराधिकार टैक्स (inheritance tax) जैसे प्रोग्रेसिव टैक्स लागू करें, क्योंकि ये टैक्स आर्थिक गैर-बराबरी को कम करने में एतिहासिक रूप से कारगर साबित हुए हैं. ऑक्सफैम ने कहा है कि देश भर में कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि भारत के 80 फीसदी से ज्यादा लोग अमीरों और कोविड 19 महामारी के दौरान रिकॉर्डतोड़ मुनाफा कमाने वाली कंपनियों पर टैक्स लगाए जाने के पक्ष में हैं. एफआईए इंडिया (FIA India) की तरफ से कराए गए इस सर्वे में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों ने गैर-बराबरी को कम करने के लिए बजट में प्रावधान किए जाने की मांग भी की है.
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अडानी पर टैक्स से मिल सकते हैं 1.79 लाख करोड़ : रिपोर्ट
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के 10 सबसे धनी लोगों पर 5 फीसदी टैक्स भी लगा दिया जाए, तो इतनी रकम मिल सकती है, जो देश में स्कूल छोड़ने वाले तमाम बच्चों को दोबारा पढ़ाई-लिखाई से जोड़ने के लिए काफी होगी. रिपोर्ट में अमीरों पर टैक्स लगाने के मसले की चर्चा करते हुए देश के सबसे रईस उद्योगपति गौतम अडानी का उदाहरण भी दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, “देश के सिर्फ एक अरबपति गौतम अडानी की दौलत में 2017 से 2021 के दौरान जितना इजाफा हुआ है, अगर उस पर एकमुश्त कर लगा दिया जाए तो 1.79 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. यह रकम देश के 50 लाख से ज्यादा प्राइमरी स्कूल टीचर्स को एक साल का वेतन देने के लिए काफी है.”
अरबपतियों की दौलत पर 2% एकमुश्त टैक्स की सलाह
सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट (Survival of the Richest) नाम से तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के अरबपतियों की कुल दौलत पर महज 2 फीसदी एकमुश्त टैक्स लगा दिया जाए, तो भी देश में कुपोषण के शिकार लोगों को तीन साल तक पर्याप्त पोषण देने के लिए जरूरी 40,423 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक देश के 10 सबसे अमीर अरबपतियों पर 5 फीसदी का वन-टाइम टैक्स लगा दिया जाए तो 1.37 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं. यह रकम वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के कुल बजट के डेढ़ गुने से ज्यादा है.