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राजस्थान के रहने वाले लोगों को देवस्थान विभाग की ओर से 1 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. (Image: newsonair)
Devottee get 1 Lakh assistance from Rajasthan Govt: उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओ के लिए बड़ी घोषणा है. इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चुने गए श्रद्दालुओं को राज्य सरकार 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देगी. यह राशि उन श्रद्धालुओं को मिलेगी जिन्होंने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के माध्यम से यह यात्रा पूरी की हो.
हिमालय की दुर्गम पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित और चीन के अधीन कैलाश मानसरोवर यात्रा को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है. करीब 6 के लंबे अंतराल के बाद फिर से शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी करके लौटने वाले शिवभक्तों को सरकार से प्रोत्साहन के रूप में आर्थिक सहयोग मिलेगा.
राज्य के रहने वाले श्रद्धालुओ को राजस्थान के देवस्थान विभाग की ओर से 1 लाख रुपये की सहायता राशि कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी कर लौटने के बाद मिलेगी. श्रद्धालु को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा पूर्णता सर्टिफिकेट के साथ यात्रा के दो माह के भीतर देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त कार्यालय या उपखंड अधिकारी कार्यालय में खुद उपस्थित होकर जमा कराना होगा. सभी दस्तावेजों की जांच के बाद 15 दिन के भीतर स्वीकृति जारी की जाएगी और राशि बैंकर चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से दी जाएगी.
ये यात्री होंगे एलिजिबल
कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी कर लौटे श्रद्धालु राजस्थान का रहना वाला हो.
यात्रा विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से ही की गई हो.
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यात्रा पूर्णता प्रमाण पत्र जरूरी है.
एक व्यक्ति को जीवन में एक बार ही यह सहायता मिलेगी.
1 लाख रुपये के लिए करना होगा ये काम
कैलाश मानसरोवर यात्रा पूरी कर लौटे राजस्थान के रहने वाले श्रद्धालु को 1 लाख रुपये की सहायता राशि हासिल करने के लिए अप्लाई करना होगाय. इसके लिए आवेदन ऑनलाइन किया जा सकता है. ऑफलाइन आवेदन के लिए विभागीय वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड कर संबंधित कार्यालय में जमा करना होगा. यदि आवेदन अधिक संख्या में आते हैं तो चयन कम्प्यूटराइज्ड लॉटरी प्रणाली से होगा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो देवस्थान विभाग, जोधपुर की ओर से बताया गया है कि सभी जरूरी दस्तावेज जैसे पासपोर्ट, वीजा, बोर्डिंग पास के साथ प्रमाणपत्र जमा करने के बाद सहायता राशि सीधे श्रद्धालु के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी.
दिल्ली से दो बैच हो चुका है रवाना
करीब पांच साल के लंबे अंतराल के बाद फिर से शुरु हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए इस साल भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कुल 750 तीर्थयात्रियों का चयन ऑनलाइन कम्प्यूटरीकृत ड्रा प्रणाली के जरिए किया. यात्रा दो रूट - उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम के नाथु ला से करवाई जा रही है. यात्रा के लिए 50-50 श्रद्दालुओं के जत्थे जा रहे हैं या कुछ आने वाले दिनों में जाएंगे.
यात्रियों के दो जत्थे रवाना भी हो चुके हैं. तय तारीख 14 जून को रवाना हुआ यात्रियों का पहला जत्था सिक्किम के नाथु ला पास से इसी 20 जून को चीन में भी एंट्री कर चुका है. 19 जून को रवाना हुआ दूसरा जत्था सिक्किम में 15वें मील स्टेशन और सेराथांग में रुकने के बाद 25 जून को चीन एंट्री करेगा. इस रूट से जाने वाले बाकी 8 जत्थे आने वाले. उत्तराखंड के लिपुलेख रूट से 50-50 यात्रियों के 5 जत्थे 3 जुलाई से रवाना होंगे.
इस महीने 14 जून 2025 को पहला जत्था गाजियाबाद के कैलाश मानसरोवर यात्रा भवन से रवाना हुआ, जो गंगटोक, 15वां मील और सेराथांग में चार दिन रुकने के बाद 20 जून को नाथु ला पास के रास्ते चीन में प्रवेश कर गया. इसमें सिक्किम के दो सरकारी अधिकारियों सहित 35 तीर्थयात्री शामिल थे. यह जत्था 2 जुलाई के आसपास दिल्ली वापस लौटेगा. सरकार ने इस यात्रा को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए चरणबद्ध तरीके से जत्थों को भेजने की योजना बनाई है.
लिपुलेख रुट से कैलाश मानसरोवर के लिए 50 यात्रियों का पहला जत्था 3 जुलाई को रवाना होगा और उत्तराखंड के कई इलाकों में कुछ दिन रुकने के बाद चीन में एंट्री करेगा. उससे पहले यह जत्था कालापानी में गूंजी, नाभीढांग जैसे स्टेशन पर कुछ दिन ठहरेगा. इस दौरान उन्हें मौसम और यात्रा की चुनौतियों के बारे में जानकारी दी जाएगी. 10 जुलाई को पहला जत्था लिपुलेख पास के जरिए चीन में एंट्री करेगा. अगले 11 से 12 दिनों में यानी 21 जुलाई के आसपास दिल्ली वापस लौटेगा.