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अखिलेश यादव ने कहा, कांग्रेस-बीजेपी से रखेंगे समान दूरी, ममता दीदी का देंगे साथ, तो क्या विपक्षी एकता की राह में बनेंगे नया रोड़ा?

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए कोलकाता पहुंचे अखिलेश यादव सीएम ममता बनर्जी से मिलने उनके घर भी पहुंचे.

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए कोलकाता पहुंचे अखिलेश यादव सीएम ममता बनर्जी से मिलने उनके घर भी पहुंचे.

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Viplav Rahi
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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव कोलकाता में प्रेस से बात करते हुए. (Screenshot of video shared by Samajwadi Party)

Akhilesh Yadav says his party will keep equal distance from Congress and BJP: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर गैर-कांग्रेस, गैर-बीजेपी राजनीति का राग छेड़ दिया है. उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस - दोनों से समान दूरी बनाकर चलेगी. इसके साथ ही वे पूरी ताकत से ममता बनर्जी के साथ खड़े रहने की बात भी कर रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में अब महज एक साल बाकी है. ऐसे में अखिलेश यादव की इन बातों को उनकी लोकसभा चुनाव की रणनीति का संकेत मानें, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री पूरे देश में व्यापक विपक्षी एकता की राह में नई अड़चन खड़ी करने जा रहे हैं? दिलचस्प बात यह भी है कि अखिलेश के इस रुख से सबसे ज्यादा फायदा उसी बीजेपी को मिलने की उम्मीद है, जिसे हराने के लिए वे हर कुर्बानी देने का दम भर रहे हैं.

अखिलेश ने ममता बनर्जी की जमकर की तारीफ

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के लिए कोलकाता पहुंचे अखिलेश यादव न सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घर जाकर उनसे मिले, बल्कि राज्य में बीजेपी को चुनावी मात देने के लिए उनकी जमकर तारीफ भी की. अखिलेश यादव ने कहा, "मुझे उम्मीद है जिस तरह से दीदी ने भाजपा से मुकाबला किया था आने वाले चुनाव में भी भाजपा का सफाया होगा." इसके साथ ही अखिलेश ने यह भी कहा कि बीजेपी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से ममता बनर्जी के साथ खड़ी है. अखिलेश यादव ने कोलकाता में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक में भी ममता बनर्जी की जमकर तारीफ की. अखिलेश से बयानों से लगता है कि कहीं वे 2024 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने का संकेत तो नहीं दे रहे?

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कांग्रेस के सवाल पर क्या बोले अखिलेश?

संवाददाताओं से बातचीत के दौरान अखिलेश ने कहा, बंगाल में हम पूरी तरह से ममता दीदी के साथ हैं. फिलहाल हमारा रुख यही है कि हम बीजेपी और कांग्रेस दोनों से बराबर की दूरी रखना चाहते हैं. जब एक पत्रकार ने अखिलेश से पूछा कि क्या वे आगे चलकर समान विचारधारा वालों को भी साथ लाएंगे? तो अखिलेश ने कहा, "अब वो विचारधारा ढूंढने में बड़ी मुश्किल होगी उत्तर प्रदेश में." कांग्रेस के बिना कोई विकल्प खड़ा नहीं हो पाने की दलील के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, "अगर आप प्रदेश में देखें, तो ज्यादा सांसद वही चुनकर आएंगे, जो न कांग्रेस के साथ हैं और न बीजेपी के साथ हैं." अखिलेश के इस जवाब का ये मतलब भी निकलता है कि उनके हिसाब से यूपी के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है.

संविधान बचाने के लिए हर कुर्बानी देंगे : अखिलेश

हालांकि इसके साथ ही अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी देश के संविधान को बचाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है. उन्होंने कहा कि अगर हम बीजेपी को उत्तर प्रदेश में हराने में सफल हुए तो उसे देश भर में हरा पाएंगे. अखिलेश ने कहा कि अगले आम चुनाव से पहले किसी न किसी रूप में कोई न कोई गठबंधन जरूर दिखाई देगा. उन्होंने कहा कि "देश में सभी लोग परिवर्तन चाहते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने देश का जितना नुकसान किया उतना कभी किसी दल ने नुकसान नहीं किया होगा."

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सिर्फ विपक्ष के लिए है ED और CBI : अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का गलत ढंग से इस्तेमाल किए जाने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा, "याद रखना चाहिए जिस किसी ने भी ED, CBI और इनकम टैक्स का ज्यादा इस्तेमाल किया है उसका सफाया दिल्ली से हुआ है. यह परंपरा बन रही है अगर आपके दल में कोई आ जाए उसके लिए ED और CBI कुछ भी नहीं है. विपक्षियों के लिए ED और CBI." अखिलेश ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के बहुत सारे विधायक, नेता झूठे मुकदमों में जेल में है. उन्होंने कहा "भाजपा जिस दल से घबरा जाती है उसके घर पर ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई भेज देती है."

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कांग्रेस-बीजेपी से समान दूरी का क्या है मतलब?

अखिलेश यादव अभी कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी बनाए रखने की बात जरूर कर रहे हैं, लेकिन क्या वे 2024 तक अपने इसी रुख पर कायम रहेंगे? यह सवाल इसलिए, क्योंकि वे बीजेपी को हराने के लिए हर कुर्बानी देने की बात भी कर रहे हैं, जो कांग्रेस-बीजेपी से समान दूरी रखने की रणनीति से मेल नहीं खाती. इसके अलावा, केंद्रीय एजेंसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को परेशान किए जाने का जो मसला वे उठा रहे हैं, वह भी व्यापक विपक्षी एकता की बड़ी वजह बन सकता है. उनका यह कहना भी बीजेपी-कांग्रेस से समान दूरी रखने की भावना से मेल नहीं खाता कि "भारतीय जनता पार्टी ने देश का जितना नुकसान किया, उतना कभी किसी दल ने नहीं किया होगा". अखिलेश को अगर बीजेपी विरोधी राजनीति के केंद्र में रहना है, तो उन्हें अपनी आगे की चुनावी रणनीति बनाते समय इन संदर्भों पर भी जरूर गौर करना होगा.

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