/financial-express-hindi/media/media_files/67CAoJzNv4phnCsVvB52.jpg)
ED ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और एमडी अनिल अंबानी को 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है. (Image; FE File)
Anil Ambani Loan Fraud Case: मुंबई में अनिल अंबानी से जुड़ी कई लोकेशनों पर छापेमारी खत्म होने के चार दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें समन जारी किया है. यह समन 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन घोटाले और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में भेजा गया है, जिसमें रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनियां संलिप्त बताई जा रही हैं.
ईडी की जांच का फोकस 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा समूह की कंपनियों को दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन पर है. एजेंसी यह पता लगा रही है कि क्या इन ऋणों का गलत तरीके से इस्तेमाल (डायवर्जन) किया गया और क्या लोन मंजूरी के बदले बैंक अधिकारियों या प्रमोटरों को रिश्वत दी गई थी.
पूछताछ के लिए 5 अगस्त को बुलाया
24 जुलाई को ईडी की कई टीमों ने मुंबई में अनिल अंबानी से जुड़ी 35 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की थी, जो 27 जुलाई को समाप्त हुई. अब एजेंसी ने उन्हें समन जारी करते हुए 5 अगस्त को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पूछताछ के लिए पेश होने का निर्देश दिया है.
रिलायंस पावर के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा - ईडी की कार्रवाई अब सभी जगहों पर पूरी हो चुकी है. कंपनी और उसके सभी अधिकारी जांच एजेंसी को पूरा सहयोग दे रहे हैं और आगे भी देंगे. ईडी की कार्रवाई का हमारे कारोबार, वित्तीय स्थिति, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी और हितधारक पर कोई असर नहीं पड़ा है. यह कार्रवाई मुख्य रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से जुड़ी पुरानी लेन-देन को लेकर है, जो 10 साल से भी ज्यादा पुराने हैं."
उन्होंने आगे कहा - रिलायंस पावर एक अलग, स्वतंत्र और शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी है, जिसका आरकॉम या RHFL से कोई वित्तीय या कारोबारी संबंध नहीं है. आरकॉम बीते 6 सालों से दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Process) से गुजर रही है और RHFL का मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पूरी तरह निपट चुका है. अनिल अंबानी रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं, इसलिए आरकॉम या RHFL से जुड़ी कोई भी कार्रवाई रिलायंस पावर के संचालन या प्रबंधन को प्रभावित नहीं करती."
जांच में ईडी को क्या मिला?
ईडी की जांच में पाया गया है कि यस बैंक द्वारा दिए गए लोन में कई गड़बड़ियां थीं, जैसे कि पिछली तारीख के अप्रूवल डॉक्यूमेंट बनाना, बिना किसी सटीक जांच या रिस्क एनालिसिस के निवेश की मंजूरी देना — जो बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन है.
ईडी का यह भी आरोप है कि रिलायंस म्यूचुअल फंड ने यस बैंक के AT1 बॉन्ड में लगभग 2,850 करोड़ रुपये निवेश किए, जो एक तरह की लेन-देन की साजिश लगती है. “बाद में ये बॉन्ड पूरी तरह डूब गए और पब्लिक यानी म्यूचुअल फंड निवेशकों का पैसा गंवाया गया,” एक सूत्र ने कहा. इस मामले की सीबीआई भी जांच कर रही है.
यह मनी लॉन्ड्रिंग केस सीबीआई द्वारा दर्ज दो FIRs और अन्य संस्थाओं द्वारा ईडी को सौंपी गई रिपोर्ट्स पर आधारित है. इनमें नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं.
Also read : गैस सिलेंडर, हवाई टिकट से लेकर क्रेडिट कार्ड तक, आज से कई अहम बदलाव लागू
पिछले साल, सेबी ने अनिल अंबानी और RHFL से जुड़े 24 अन्य लोगों पर 5 साल तक शेयर बाजार में प्रतिबंध लगा दिया था. उन पर कंपनी से पैसे डायवर्ट करने का आरोप है. साथ ही सेबी ने अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया, क्योंकि उन्होंने कथित रूप से RHFL के हितधारकों और वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाने वाली साजिश रची थी. अनिल अंबानी और बाकी 24 लोगों पर कुल मिलाकर 625 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है.