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अदालत ने अतीक के भाई अशरफ समेत सात अन्य को बरी कर दिया.
Atiq Ahmad Breaking News: गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद को लेकर प्रयागराज की एक अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. अतीक अहमद और दो अन्य लोगों को 2007 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के चश्मदीद उमेश पाल के अपहरण मामले में कोर्ट ने दोषी ठहराया है. हालांकि अदालत ने अतीक के भाई अशरफ समेत सात अन्य को बरी कर दिया. कोर्ट ने अतीक अहमद को इस मामले में उम्रकैद की सजा और 5000 का जुर्माना लगाया है. सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने कहा कि विशेष एमपी-एमएलए अदालत के न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने अहमद, वकील सौलत हनीफ और दिनेश पासी को मामले में दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ सहित सात अन्य को मामले में बरी कर दिया गया है. अतीक अहमद सहित अन्य दोषियों को कितने साल की सजा होगी यह अदालत थोड़ी देर में फैसला करेगी.
क्या है मामला?
25 जनवरी 2005 को तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के बाद तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य उमेश पाल ने पुलिस को बताया था कि वह हत्या का चश्मदीद था. उमेश पाल ने आरोप लगाया था कि जब उसने अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया, तो 28 फरवरी, 2006 को बंदूक की नोक पर उसका अपहरण कर लिया गया. प्राथमिकी 5 जुलाई, 2007 को अहमद, उनके भाई और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई थी. पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. इनमें से एक की बाद में मौत हो गई. अहमद और अशरफ पर उमेश पाल को मारने की साजिश में शामिल होने का भी आरोप है, जब वे दोनों जेल में थे. उमेश पाल की 24 फरवरी को उनके प्रयागराज स्थित आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
Prayagraj MP-MLA Court pronounces mafia-turned-politician Atiq Ahmed and his brother Ashraf guilty in the Umesh Pal kidnapping case; argument in the court continues. pic.twitter.com/5fFlV9Wxvj
— ANI (@ANI) March 28, 2023
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सुप्रीम कोर्ट से भी लगा झटका
इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने मामले के संबंध में सुरक्षा की मांग करने वाली अहमद की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने अहमद के वकील को अपनी शिकायतों के साथ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया. अदालत अतीक अहमद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें उत्तर प्रदेश की जेल में स्थानांतरित किए जाने की आशंका जताई गई थी. अहमद की ओर से पेश उनके वकील ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद की जान को खतरा है. लाइव लॉ के अनुसार, उनके वकील ने कहा कि अगर यह अदालत याचिकाकर्ता की सुरक्षा से इनकार करती है, तो इसका मतलब उसके लिए मौत का वारंट होगा. जिस पर, शीर्ष अदालत ने जवाब दिया: “यह इस अदालत का मामला नहीं है. आप उच्च न्यायालय में वापस जाएं."