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Chandrayaan-3 Mission: भारत के चंद्रयान-3 से ऐसी दिखती है चांद की सतह. यह तस्वीर 6 अगस्त 2023 को जारी एक वीडियो का स्क्रीनशॉट है. Photo : ISRO/Handout via Reuters)
Chandrayaan-3 closer to Moon, Lander set for separation today: भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन अपनी सफलता के बेहद करीब पहुंच चुका है. पहले से तय योजना के मुताबिक चांद की सतह पर उतरने वाला 'विक्रम' लैंडर मॉड्यूल 'प्रज्ञान' लैंडर को अपने साथ लेकर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया. यही विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के करीब सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. चांद पर भेजा गया 'प्रज्ञान' रोवर इसी लैंडर में रखा है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के सफल होने के बाद उसमें से बाहर आएगा और फिर चांद की सतह पर घूम-घूमकर डेटा जुटाने का काम करेगा. अब तक दुनिया के किसी भी देश को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर उतारने में कामयाबी नहीं मिली है. यही वजह है कि भारत के इस मिशन पर सारी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं.
इसरो ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी
चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल और विक्रम लैंडर के अलग होने की जानकारी इसरो ने सोशल मीडिया पर दी है. इसके बाद अब लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अपना आगे का सफर अलग-अलग तय करेंगे. इसरो (ISRO) ने अपने ट्विटर (X) हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा है, "लैंडर मॉड्यूल (LM) अब प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो चुका है. इसके बाद लैंडर मॉड्यूल कल शाम 4 बजे के आसपास 'डी-बूस्टिंग' करेगा, जिससे उसका ऑर्बिट चांद के और करीब आ जाएगा."
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 17, 2023
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).
LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
कैसा होगा 'विक्रम' लैंडर का आगे का सफर
प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद 'विक्रम' लैंडर मॉड्यूल अपना ऑर्बिट कम करने के लिए दो मैन्युवर करेगा. पहला मैन्युअवर उसे 100X100 किलोमीटर के सर्कुलर ऑर्बिट यानी गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा, जबकि दूसरा चांद की सतह से मैक्सिमम 100 किलोमीटर और मिनिमम 30 किलोमीटर के ऑर्बिट में ले जाएगा. आखिरकार चंद्रयान-3 का 'विक्रम' लैंडर अपने इसी 100×30 किमी ऑर्बिट से 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह चंद्रयान-3 मिशन का सबसे महत्वपूर्ण फेज होगा, क्योंकि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान इसी स्तर पर कुछ खराबी आ गयी थी, जिसके कारण लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई थी. लैंडर मॉड्यूल के अलग हो जाने के बाद भी प्रोपल्शन मॉड्यूल अगले कुछ महीनों तक चंद्रमा की ऑर्बिट में बना रहेगा और इस दौरान और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाने का काम करेगा.
चांद के बेहद करीब पहुंचा चंद्रयान-3
बुधवार को चंद्रयान-3 ने अपने चौथे और आखिरी मैन्यूवर के बाद अब तक के सबसे करीबी ऑर्बिट यानी कक्षा में सफलता पूर्वक प्रवेश कर लिया. यह ऑर्बिट चांद से 153 किमी x 163 किमी की दूरी पर है. इसका मतलब यह है कि चांद की सतह से इस ऑर्बिट की सबसे ज्यादा दूरी 163 किलोमीटर और सबसे कम दूरी 153 किलोमीटर है. इस ऑर्बिट में तय योजना के मुताबिक बिलकुल सही ढंग से प्रवेश करना चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी के लिए बेहद जरूरी था. इसी ऑर्बिट में घूमने के दौरान आज यानी 17 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर प्रोपल्शन यूनिट से अलग हो गया है. इसके साथ ही प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अब अपना आगे का सफर अलग-अलग तय करेंगे. इसरो (ISRO) ने अपने ट्विटर (X) हैंडल के जरिए इसकी जानकारी देते हुए लिखा था, "अब तैयारी करने का समय है, क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल जल्द ही अपने अलग-अलग सफर पर निकल जाएंगे."
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. उसके बाद से अब तक के उसके सफर के अहम पड़ाव इस तरह हैं :
चंद्रयान-3 मिशन की टाइमलाइन
- 14 जुलाई 2023 : चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया
- 1 अगस्त 2023 : चंद्रयान-3 का ट्रांसलूनर ऑर्बिट में प्रवेश
- 1 अगस्त 2023 : चंद्रयान-3 का ट्रांसलूनर ऑर्बिट में प्रवेश
- 16 अगस्त 2023 : चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब (153×163 किमी ऑर्बिट) पहुंचा
- 17 अगस्त 2023 : लैंडर और रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुए
- 23 अगस्त 2023 : चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब सॉफ्ट लैंडिंग की संभावित तारीख