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Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान 3 मिशन के विक्रम लैंडर ने भेजी ताजा तस्वीरें, चांद के बेहद करीब है इसरो का स्पेस क्राफ्ट

Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान 3 मिशन का यह विशेष कैमरा लैंडिंग के लिहाज से उन सुरक्षित क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं.

Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान 3 मिशन का यह विशेष कैमरा लैंडिंग के लिहाज से उन सुरक्षित क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं.

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FE Hindi Desk
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Chandrayaan 3 Mission

Chandrayaan 3 Mission: इसरो ने चंद्रयान 3 मिशन के विक्रम लैंडर की ताजा तस्वीरें साझा की है. (Photo: X/@ISRO)

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने चंद्रयान 3 मिशन के विक्रम लैंडर की ताजा तस्वीरें जारी कीं. चांद पर चंद्रयान 3 मिशन के उतरने से दो दिन पहले इसरो ने सोमवार को तस्वीरें शेयर की. चांद (Lunar far side area) की यह तस्वीरें ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉइडेंस कैमरे’ (एलएचडीएसी) से ली गई है. बताया जा रहा है कि चांद पर लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित जगह तलाश के दौरान चंद्रयान 3 मिशन के विशेष कैमरे द्वारा यह तस्वीरें ली गई हैं.

Lunar far side area captured by the Lander Camera (LHDAC).
Lunar far side area captured by the Lander Camera (LHDAC). (फोटो: X/@ISRO)
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अहमदाबाद स्पेस सेंटर में तैयार हुआ है कैमरा

चंद्रयान 3 मिशन का यह विशेष कैमरा लैंडिंग के लिहाज से चांद पर उन सुरक्षित जगह की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर या गहरी खाइयां नहीं होती हैं. विक्रम लैंडर की ताजा तस्वीरें जिस कैमरे से ली गई उसे इसरो के गाइडेंस में अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (SAC) में विकसित किया गया था. हाल ही में एक ब्रीफिंग के दौरान स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी के डायरेक्टर डॉ के राजीव ने आगामी चरणों, विशेष रूप से संचालित डिसेंट, नेविगेशन और चंद्र सतह पर धीमी गति से उतरने के अत्यधिक महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है."

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इस दौरान डॉ. राजीव ने मिशन के घटक- लैंडर और रोवर के बारे में बताया. मौजूदा समय में लैंडर के भीतर मौजूद रोवर में दो प्रमुख पेलोड- अल्फा पार्टिकल एक्साइट स्पेक्ट्रोमीटर (एपीईएस) और लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईपीएसई) काम करते हैं. ये उपकरण सतह के घटकों को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो चांद पर खनिजों और मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम, लोहा और अन्य सामग्रियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

लैंडर के भीतर ही चार अहम पेलोड काम करते हैं. जिनमें से दो पेलोड को साराभाई स्पेस सेंटर के स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी में तैयार किया गया है, एक को बैंगलुरू स्थित यूआर राव सेटेलाइट सेंटर में बनाया गया है. लैंडर के भीतर का चौथा पेलोड एक रेट्रोरिफ्लेक्टर है जिसका मुख्य मकसद चांद से पृथ्वी तक की दूरी तय करना है.

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23 अगस्त को चांद पर लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3

इस पहले फाइनल डीबूस्टिंग की कवायद के बाद चंद्रयान-3 मिशन चांद के बेहद करीब पहुंच गया. बता दें कि बुधवार 23 अगस्त 2023 की शाम करीब 6 बजकर 04 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन के चांद के सॉउथ पोल पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की उम्मीद है.

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