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Hisar panchayat : हरियाणा के किसान हिंसा के खिलाफ एकजुट, हिसार की खाप पंचायत में लिया भाईचारा निभाने का संकल्प

Hisar panchayat: नूह हिंसा के कुछ दिनों बाद हरियाणा में किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने एक बैठक की और मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर समाज में भाईचारे का संदेश दिया.

Hisar panchayat: नूह हिंसा के कुछ दिनों बाद हरियाणा में किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने एक बैठक की और मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर समाज में भाईचारे का संदेश दिया.

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FE Hindi Desk
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Hisar panchayat: इस किसान पंचायत में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के लगभग 2,000 किसानों ने भाग लिया.

Hisar panchayat: हरियाणा के नूह जिले में हुए हिंसा के बाद एक सुखद खबर सामने आ रही है. हिंसा के कुछ दिनों बाद हरियाणा में किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने एक बैठक की और मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर समाज में भाईचारे का संदेश दिया. किसान नेताओं ने बुधवार को एलान किया कि वे किसी भी मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को ‘छूने’ की अनुमति नहीं देंगे. ये नेता राज्य में सांप्रदायिक हिंसा का मुकाबला करने के अपने दृढ़ संकल्प की घोषणा करने के लिए हिसार के बास गांव में एकत्र हुए थे.इस किसान पंचायत में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के लगभग 2,000 किसानों ने भाग लिया. हरियाण में कई दिनों तक चली हिंसा के बीच ऐसी पहली घटना सामने आई है.  मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को मिल रही धमकियों और कुछ ग्राम पंचायतों द्वारा अपने गांवों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के प्रवेश के खिलाफ ये आयोजन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

किसान नेताओं ने क्या कहा?

मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को धमकियों का जिक्र करते हुए किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा: “ये खड़े हैं मुसलमान, टोक के दिखा दो. सभी खापें (उनकी सुरक्षा के लिए) जिम्मेदार हैं.'' हिसार जिले के एक खाप नेता सुरेश कोथ ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कोथ ने कहा कि कुछ गांवों में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध की खबरें झूठी हैं. बुधवार की पंचायत में किसानों ने यह भी शपथ ली कि वे नूंह में शांति बहाली के प्रयास करने के अलावा किसी भी प्रकार की जातीय या सांप्रदायिक हिंसा में भाग नहीं लेंगे. पंचायत में उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई जो सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर लोगों को भड़काने के लिए जिम्मेदार थे.

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हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का दिया संदेश 

कोथ के मुताबिक, पहले उन्होंने खेती से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए 9 अगस्त को बास गांव में एक सम्मेलन की योजना बनाई थी. लेकिन, किसान नेता का कहना है, "नूंह हिंसा का मुद्दा केंद्रीय स्तर पर है और पहले इससे निपटने की जरूरत है." विशेष रूप से, बुधवार का कार्यक्रम स्थल, बास गांव उन जिलों से घिरा हुआ है जहां किसानों ने 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़े गए किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था. किसान नेता तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन के दौरान विभिन्न समुदायों से मिले समर्थन को ध्यान में रखते हुए सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने का बीड़ा उठा रहे हैं. जींद जिले के खटकड़ कलां टोल प्लाजा पर किसानों ने आंदोलन के दौरान सभी धर्मों के त्योहार मनाए थे. 2021 में ईद-उल-फितर के मौके पर किसानों ने खटकर कलां विरोध स्थल पर नमाज भी अदा की थी.

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सभी धर्मों के लोग हुए शामिल 

मेवात के किसानों ने अपने आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर स्थापित किसानों के "पक्का मोर्चा" में भाग लिया था. किसान नेताओं का मानना है कि उनके लगभग 13 महीने लंबे आंदोलन ने विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत किया है. उस भावना को जारी रखने के लिए किसान नेताओं ने अब हरियाणा में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है. ऐसे आयोजनों की शृंखला में सोमवार को कई संगठनों ने ''हिंदू-मुस्लिम-सिख, इसाई'' के नारे लगाते हुए जींद शहर में जुलूस निकाला. सभा में हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 

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