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History of Sengol: गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल को अमृतलाल का राष्ट्रीय प्रतीक बताया है.
History of Sengol: कल यानी 28 मई भारतीय आधुनिक इतिहास में एक खास महत्व का दिन होगा. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नवनिर्मित संसद भवन का उद्धघाटन करेंगे. हालांकि इस अवसर पर सबसे ज्यादा चर्चा ऐतिहासिक 'सेंगोल' की है, जिसे स्पीकर के गद्दी के बगल में रखा जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात की जानकारी देते हुए इसे अमृतलाल का राष्ट्रीय प्रतीक भी बताया है. आखिर यह 'सेंगोल' क्या है और इसका इस्तेमाल कब और किसके द्वारा किया गया था और इसका प्रतीकात्मक महत्व क्या है? इस आर्टिकल में मिलेगा इसका सारा जवाब.
पहली बार कब हुआ था इसका इस्तेमाल?
आधुनिक भारत के नजर में इसका पहला इस्तेमाल साल 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा किया गया था. लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है. राजदंड ‘सेंगोल’ भारत के समृद्ध विरासत को दर्शाता है. इसे स्वतंत्रता और निष्पक्ष शासन की भावना का प्रतीक भी माना जाता है.
तमिल परंपरा में इसका बहुत खास स्थान है. सेंगोल के ऊपर एक नंदी विराजमान है, जो धन-संपदा और वैभव का प्रतीक भी है. हालांकि अधिकतर लोग समझ रहे हैं इसका सबसे पहला इस्तेमाल चोल साम्राज्य ने किया था. लेकिन इसका इस्तेमाल मौर्य और गुप्त वंश काल में भी हो चुका है. हालांकि इसे प्रसिद्धि चोल वंश के राजा राजेंद्र चोल (प्रथम) के काल में सबसे ज्यादा मिली.
नेहरू ने क्यों किया था सेंगोल का इस्तेमाल?
'राजदंड' सेंगोल भारत की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है. अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के दौरान इसका इस्तेमाल किया था. दरअसल जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था, उस वक्त लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए? इसपर नेहरू का जवाब था कि इसपर सी राजा गोपालचारी जी सही सलाह दे सकते हैं. गोपालचारी ने सेंगोल के बारे में पंडित नेहरू को जानकारी दी और इसके बाद सत्ता हस्तांतरण के रूप में इसका इस्तेमाल किया गया था. अधीनम मठ के पुजारियों ने पारंपरिक शैव भजन गाते हुए इसे नेहरू को सौंपा था.
किसने बनाया है नया सेंगोल?
भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस समारोह में खास अतिथि सेंगोल बनाने वाला जौहरी परिवार भी होगा. उन्हें इसमें शामिल होने के लिए न्योता भेज दिया गया है. भारत की नई संसद में लगाए जाने वाले मौजूदा सेंगोल को चेन्नई के वुम्मिदी बंगारू ने बनाया है. इसमें कई धातुओं की परतें चढ़ी हुई हैं, जिसमें सोना सबसे प्रमुख है. इसे आजादी से कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई अथीनम मठ के अधीनस्थ गुरुओं के सलाह से बनाया गया था. सेंगोल में नंदी और देवी लक्ष्मी की नक्काशी की गई है. पहले के जमाने में इसके ऊपर कीमती पत्र भी लगाए जाते थे.र्शाता है.