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दिल्ली में क्यों जरूरी है कार पर फ्यूल स्टिकर लगाना, फाइन से बचने के लिए ऑनलाइन कैसे हासिल करें. Photograph: (IE File)
How to get Color Coded Fuel Sticker Online: दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने सड़कों पर चलने वाले वाहनों के लिए एक अहम नियम लागू किया है. अब हर वाहन के विंडशील्ड पर कलर-कोडेड फ्यूल स्टीकर लगाना अनिवार्य हो गया है. अगर आपकी गाड़ी पर यह स्टीकर नहीं है, तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है और PUC सर्टिफिकेट (Pollution Under Control) भी नहीं मिलेगा.
यह नियम High Security Registration Plate (HSRP) नीति के तहत लागू किया गया है, जो 2012-13 में शुरू की गई थी. ये होलोग्राम बेस्ड, टैम्पर-प्रूफ स्टीकर होते हैं, जिन्हें एक बार चिपकाने के बाद हटाना मुश्किल होता है और हटाने पर यह अपने आप नष्ट हो जाते हैं. इन स्टीकरों का मकसद यह पहचान आसान बनाना है कि वाहन कौन से फ्यूल के इस्तेमाल से चलता है.
कितने कलर के आते हैं फ्यूल स्टिकर, क्या हैं इसके मायने?
फ्यूल स्टिकर तीन कलर में आते हैं. जिनमें लाइट ब्लू, ऑरेन्ज और ग्रे शामिल हैं. आइए जानते हैं इन कलर के क्या मायने हैं.
हल्का नीला (Light Blue) – पेट्रोल और सीएनजी वाहनों के लिए
नारंगी (Orange) – डीज़ल वाहनों के लिए
ग्रे (Grey) – इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और अन्य फ्यूल टाइप के लिए
दिल्ली परिवहन विभाग (Delhi) ने साफ कर दिया है कि इस नियम का पालन न करने वालों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसलिए अगर आप दिल्ली में वाहन चला रहे हैं, तो जल्द से जल्द अपनी गाड़ी पर सही रंग का फ्यूल स्टीकर लगवा लें.
कितना लगेगा जुर्माना?
सरकार ने अप्रैल 2019 से सभी नए वाहनों के लिए यह स्टीकर अनिवार्य कर दिया था, और बाद में पुराने वाहनों को भी इसमें शामिल किया गया. अब अगर कोई वाहन मालिक बिना स्टीकर के सड़क पर चलता है, तो उसे मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 192(1) के तहत जुर्माना देना पड़ सकता है. 2020 में दिल्ली सरकार ने सख्ती से इसे लागू कराने के लिए विशेष अभियान चलाया था, जिसमें HSRP और स्टीकर न होने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया था. अब फिर से अधिकारियों ने साफ किया है कि अगर आपकी गाड़ी पर ये स्टीकर नहीं है, तो आपको PUC सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, यानी आप कानूनी रूप से गाड़ी नहीं चला सकेंगे.
कलर-कोडेड फ्यूल स्टीकर क्यों हैं जरूरी?
दिल्ली जैसे शहरों में जहां वायु प्रदूषण एक बड़ी चुनौती है, वहां कलर-कोडेड फ्यूल स्टीकर कानून लागू करने का मकसद सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित और तेज़ी से लागू होने वाली पर्यावरणीय निगरानी व्यवस्था बनाना है.
इन स्टीकरों की मदद से ट्रैफिक पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियां किसी वाहन का ईंधन प्रकार तुरंत पहचान सकती हैं. खासकर जब वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है, तो डीज़ल जैसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक लगाने में ये स्टीकर काफी मददगार साबित होते हैं.
यह सिस्टम शहरों में वाहन से निकलने वाले उत्सर्जन को कम करने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. इससे न सिर्फ नियमों का पालन कराना आसान होता है, बल्कि वाहन चालकों की जवाबदेही भी तय होती है.
कलर-कोडेड फ्यूल स्टीकर कैसे बनवाएं?
अगर आप दिल्ली में वाहन चला रहे हैं और अब तक अपनी गाड़ी पर कलर-कोडेड फ्यूल स्टीकर नहीं लगवाया है, तो अब देर न करें. ये छोटा-सा स्टीकर आपके वाहन को कानून के दायरे में लाने के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण की बड़ी मुहिम का हिस्सा है. इसे बनवाना बेहद आसान है:
ऐसे करें अप्लाई
दिल्ली परिवहन विभाग की वेबसाइट पर जाएं और अधिकृत डीलरों की लिस्ट देखें.
अपने नजदीकी डीलर को चुनें और अपॉइंटमेंट बुकिंग लिंक पर क्लिक करें.
अपनी गाड़ी का प्रकार चुनें –
प्राइवेट व्हीकल (सफेद नंबर प्लेट)
कमर्शियल व्हीकल (पीली नंबर प्लेट)
वाहन का मॉडल भरें और अपना राज्य चुनें.
डीलर लोकेशन चुनें और अपने व्यक्तिगत व गाड़ी से जुड़ी जानकारी भरें.
रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए OTP से वेरिफाई करें.
अपॉइंटमेंट के लिए तारीख और समय चुनें.
ऑनलाइन भुगतान करें. भुगतान की पुष्टि SMS और ईमेल दोनों से मिलेगी.