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सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार, कौन बनेगा कर्नाटक का सीएम? क्या है इनकी ताकत और कमजोरी

Karnataka CM Tussle: शीर्ष पद के लिए दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार सबसे आगे हैं और दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है.

Karnataka CM Tussle: शीर्ष पद के लिए दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार सबसे आगे हैं और दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है.

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FE Hindi Desk
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Karnataka CM Tussle: कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी राज्य में कांग्रेस का मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. (PTI)

 Karnataka CM Tussle: कर्नाटक में चुनाव संपन्न हो चुके हैं और जनता ने इस बार जीत का सेहरा कांग्रेस के सिर पर बांधा है. 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 135 सीटों पर शानदार जीत हासिल की. हालांकि अभी भी ये क्लियर नहीं हुआ राज्य में कांग्रेस का मुख्यालय कौन होगा. फिलहाल, शीर्ष पद के लिए दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार सबसे आगे हैं और दोनों नेताओं ने दक्षिणी राज्य का नेतृत्व करने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाया भी नहीं है. इस बीच रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री चुनने का जिम्मा कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपा गया है. 

आज सोनिया गांधी से मिलेंगे मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस विधायक दल (CLP) ने नेता चुनने के लिए सर्वसम्मति से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अधिकृत किया है. मल्लिकार्जुन खड़गे जिसे नेता चुनेंगे वहीं  राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा. कांग्रेस अध्यक्ष का आज राहुल गांधी और सोनिया से मिलने की भी उम्मीद है. बहरहाल स्वॉट (SWAT) विश्लेषण एक ऐसा तरीका है जिसमें शामिल व्यक्तियों की ताकत, कमजोरी, अवसरों और जोखिमों को देखा जाता है. मुख्यमंत्री पद के दोनों प्रमुख दावेदारों सिद्धारमैया और शिवकुमार की ‘ताकत, कमजोरी, अवसर और जोखिम’ (SWAT) का विश्लेषण कुछ इस प्रकार है.

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सिद्धारमैया की क्या है ताकत?

  • कांग्रेस विधायकों के एक बड़े वर्ग के बीच लोकप्रिय   मुख्यमंत्री (2013-18) के रूप में सरकार चलाने का अनुभव. 
  • 13 बजट प्रस्तुत करने के अनुभव के साथ सक्षम प्रशासक. 
  • अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों पर पकड़.   
  • मुद्दों पर भाजपा और जनता दल (सेक्युलर) को घेरने की ताकत. 
  • सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार का मुकाबला करने की मजबूत क्षमता.   

सिद्धारमैया की क्या है कमजोरी?

  • सांगठनिक रूप में पार्टी के साथ इतना जुड़ाव नहीं है.   उनके नेतृत्व में 2018 में कांग्रेस की सरकार की सत्ता में वापसी कराने में विफलता.   
  • अभी भी कांग्रेस के पुराने नेताओं के एक वर्ग द्वारा उन्हें बाहरी माना जाता है. वह पूर्व में जद (एस) में थे. 
  • सिद्धरमैया 75 वर्ष के हैं. ये भी इनकी एक कमजोरी हो सकती है.

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सिद्धारमैया के लिए क्या है अवसर?

  • निर्णायक जनादेश के साथ सरकार चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की स्वीकार्यता, अपील और अनुभव. 
  •  मुख्यमंत्री पद पर नजर गड़ाए बैठे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शिवकुमार के खिलाफ आयकर विभाग (आईटी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के मामले दर्ज. 

डीके शिवकुमार की ताकत

  • मजबूत सांगठनिक क्षमता और चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका.  
  • पार्टी के प्रति वफादारी के लिए जाने जाते हैं. मुश्किल समय में उन्हें कांग्रेस का प्रमुख संकटमोचक माना जाता है.   
  • प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय, उसके प्रभावशाली संतों और नेताओं का समर्थन.  गांधी परिवार से निकटता.
  • लंबा राजनीतिक अनुभव. उन्होंने विभिन्न विभागों को संभाला भी है.

डीके शिवकुमार की कमजोरी

  • आईटी, ईडी और सीबीआई में उनके खिलाफ मामले. तिहाड़ जेल में सजा.
  • सिद्धारमैया की तुलना में कम जन अपील और प्रभाव पुराने मैसुरू क्षेत्र तक सीमित है. अन्य समुदायों से ज्यादा समर्थन नहीं.

डीके शिवकुमार के पास क्या है अवसर?

  • पुराने मैसुरू क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व की मुख्य वजह उनका वोक्कालिगा समुदाय से होना है.  कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री पद की स्वाभाविक पसंद. 
  • पार्टी के पुराने नेताओं का उन्हें समर्थन मिलने की संभावना.
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