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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ भदोही से टीएमसी उम्मीदवार ललितेशपति त्रिपाठी (Photo : @LaliteshPati/X)
Bhadohi Lok Sabha Election: देश की संसद में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सदस्य भेजने वाले उत्तर प्रदेश की भारतीय राजनीति में अहमियत से सभी वाकिफ हैं. देश के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह ही मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र वाराणसी भी देश का हृदय प्रदेश कहे जाने वाले यूपी में ही है. जाहिर है कि आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दौरान सबकी नजरें वाराणसी पर टिकी रहेंगी. लेकिन वाराणसी से सटा एक और लोकसभा क्षेत्र ऐसा है, जहां इस बार लोकसभा चुनाव में बेहद दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है. यह चुनाव क्षेत्र है भदोही - जहां से इस बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपोते ललितेश पति त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं. वे 2012 में कांग्रेस के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मड़िहान सीट से विधायक रह चुके हैं.
सपा, कांग्रेस की मदद से आगे बढ़ाएंगे परदादा की विरासत : ललितेश
ललितेश पति त्रिपाठी का दावा है कि भदोही सीट पर जीत के साथ तृणमूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपना खाता खोलने जा रही है. इस सवाल पर कि संगठन और कार्यकर्ताओं के बगैर भदोही सीट पर वे चुनाव कैसे लड़ेंगे, ललितेश ने कहा कि वे तृणमूल कांग्रेस के झंडे पर, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की मदद से जीतेंगे और अपने परदादा कमलापति त्रिपाठी की विरासत को आगे बढ़ाएंगे. त्रिपाठी ने कहा कि कांग्रेस के टिकट पर उनके पिता राजेशपति त्रिपाठी साल 2004 और 2009 में दो बार भदोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए यह क्षेत्र उनके लिए नया नहीं है. बीजेपी ने भदोही से अपना उम्मीदवार अब तक घोषित नहीं किया है, लेकिन हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले पूर्व सांसद राजेश मिश्रा की उम्मीदवारी की अटकलें लगाई जा रही हैं. अगर ऐसा हुआ तो यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा.
विपक्षी गठजोड़ का दिलचस्प प्रयोग
ललितेश पति त्रिपाठी की पारिवारिक विरासत ही भदोही के लोकसभा चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू है. उनकी इसी बेहद खास विरासत की बदौलत यह चुनाव उत्तर प्रदेश में इंडिया अलायंस के आपसी तालमेल की दिशा में एक नया प्रयोग और इम्तिहान दोनों साबित हो सकता है. अखिलेश यादव ने भी शायद इसी संभावना को भांपकर भदोही की सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए छोड़ी है. उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं, ललितेश अभी भले ही टीएमसी में हों, लेकिन पीढ़ियों तक उनके परिवार का नाम पूर्वांचल में कांग्रेस पार्टी का पर्यायवाची रहा है. उनके परदादा कमलापति त्रिपाठी न सिर्फ महात्मा गांधी और पंडित नेहरू की अगुवाई में लड़े गए स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी थे, बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे. शायद यही वजह है कि ललितेश पति त्रिपाठी चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ ही साथ कांग्रेस से भी समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. कांग्रेस औपचारिक तौर पर उनका समर्थन करे या न करे, स्थानीय तौर पर कांग्रेस से जुड़े लोगों के बीच उन्हें सहयोग मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
टीएमसी को कैसे मिली भदोही की सीट?
ललितेश पति त्रिपाठी ने टीएमसी के टिकट पर भदोही से अपनी उम्मीदवारी को लेकर पीटीआई-भाषा को एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाया है. त्रिपाठी ने बताया कि 2021 में जब वह कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे तब उन्होंने ममता बनर्जी को एक फोटो दिखायी थी जिसमें वह भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोद में बैठे हुए हैं. ललितेश ने कहा कि उन्होंने वह फोटो दिखाते हुए ममता बनर्जी से कहा कि वे तृणमूल कांग्रेस के झंडे तले अपने परदादा कमलापति त्रिपाठी की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं. इसके बाद उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी से कहा कि वे तृणमूल के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन ममता ने तब कहा कि वे उनके लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से एक सीट मांगेंगी. इसके बाद विधानसभा चुनाव में सपा के समर्थन में लखनऊ और वाराणसी में जनसभा को सम्बोधित करने आयीं ममता बनर्जी ने अखिलेश से एक लोकसभा सीट देने का वादा ले लिया था. त्रिपाठी ने कहा कि उसी वादे को पूरा करते हुए अखिलेश यादव ने भदोही सीट तृणमूल को दी है. उम्मीदवारी के एलान के बाद वे जिस तरह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ घुलमिल रहे हैं, उसे भी दोनों दलों के बीच बेहतर जमीनी सहयोग का संकेत माना जा सकता है.
भदोही के @samajwadiparty कार्यालय पर पहुंच कर सभी से मुलाकात कर उनका कुशल-क्षेम पूछा। साथ ही में, पत्रकार वार्ता को भी संबोधित कर भदोही की जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दुहराई। pic.twitter.com/6RzZ2mT8Bw
— Lalitesh Pati Tripathi (@LaliteshPati) March 18, 2024
भदोही में देखने को मिलेगा विपक्षी एकता का नया प्रयोग?
कांग्रेस और टीएमसी के बीच पश्चिम बंगाल में सीटों पर समझौता भले ही न हो पाया हो, लेकिन हाल-फिलहाल तक कांग्रेस की तरफ से ऐसे बयान आते रहे हैं कि ममता बनर्जी की पार्टी के साथ समझौते का रास्ता अब भी खुला हुआ है. ऐसे में अगर भदोही के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी वाकई साथ आ जाते हैं, तो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की इस सीट पर विपक्षी एकता का नया प्रयोग देखने को मिल सकता है.