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Maidaan movie review: अजय देवगन की मैदान दर्शकों को तालियां बजाने पर कर पाएगी मजबूर? रिलीज से पहले पढ़िए फिल्म की रिव्यू

Maidaan movie to released on April 10: अजय देवगन की फिल्म मैदान फुटबॉल जगत के महान कोच सैयद अब्दुल रहीम (Syed Abdul Rahim) के रियल लाइफ पर आधारित है. इनकी निगरानी में भारत ने एशियन गेम्स में दो बार परचम लहराया है.

Maidaan movie to released on April 10: अजय देवगन की फिल्म मैदान फुटबॉल जगत के महान कोच सैयद अब्दुल रहीम (Syed Abdul Rahim) के रियल लाइफ पर आधारित है. इनकी निगरानी में भारत ने एशियन गेम्स में दो बार परचम लहराया है.

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FE Hindi Desk
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Ajay Devgn Film Maidaan

सैयद अब्दुल रहीम को लोग रहीम साब के जानते थे और रहेंगे. साल 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में कोच रहीम साब के प्रबंधन में टीम इंडिया चैंपियन बनी. (Image: Screengrab/youtube/@ZeeMoviesHindi)

Maidaan movie review; Ajay Devgn film makes you want to clap, cheer and shed a proud tear: एक बच्चे को बेहतर बनाने में पुरे गांव का योगदान होता है और दुनिया की बेस्ट यानी चैंपियन टीम को टक्कर देने वाली टीम तैयार करने में देश के सपोर्ट की जरूरत होती है. कुछ इसी तरह का मैसेज लेकर आ रही फिल्म मैदान. ईद पर ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इसमें बालीवुड के सुपरस्टार अजय देवगन ने अहम किरदार निभाया है. फिल्म मैदान की कहानी फुटबॉल जगत के महान कोच और मैनेजर रहे सैयद अब्दुल रहीम (Syed Abdul Rahim) के रियल लाइफ पर आधारित है. फिल्म में अजय देवगन सैयद अब्दुल रहीम की भूमिका में हैं.

रहीम साब के जीवन पर आधारित है फिल्म मैदान

फिल्म में सैयद अब्दुल रहीम यानी अजय को लोग रहीम साब कहकर पुकारते हैं. रहीम साब की अगुवाई में इंडिया की फुटबाल टीम ने एशियन गेम्स में दो बार गोल मेडल जीते थे. इन्ही की निगरानी में साल 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में टीम इंडिया चैंपियन बनी थी. दो बार भारत को गोल्ड जीताने वाले रहीम साब के वास्तविक जीवन की झलक फिल्म 'मैदान' के केंद्र में है जो कल यानी बुधवार को दर्शकों को देखने को मिलेगी.

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फिल्म ‘मैदान’ भारत में भुला दिए गए फुटबॉल जगत के दिग्गज शख्सियत रहीम साब के जीवन से जुड़ी सत्य घटना पर आधारित है जिसने उस दौर में इंडोनेशिया, सॉउथ कोरिया जैसी ताकतवर फुटबाल टीमों को टक्कर देने के लिए भारतीय टीम को तैयार किया. यह अहम है कि वह एक मुस्लिम परिवार से रहे और आजादी के बाद अब तक के भारतीय फुटबाल टीम के लिए सबसे सफल और बेहतर कोच रहे.

रहीम साहब का जन्म भले ही हैदराबाद में हुआ था, लेकिन वह अपनी ज्यादातर लड़ाइयां तब के भारतीय फुटबॉल के गढ़ कहे जाने वाले कलकत्ता में लड़ी और देश को जीत दिलाई. पर्दे पर रहीम साब यानी अजय देवगन द्वारा एक टीम को तैयार करने की कहानी बेहद शानदार तरीके से दिखाई गई है. जो उस समय की परिस्थितियों को हूबहू महसूस कराएगी. फिल्म में देश के तमाम हिस्सो से आए अलग-अलग धर्मों के खिलाड़ियों के चेंजिंग रूम और मैदान में धक्का-मुक्की करते हुए देखे जाएंगे और वे एक सिंगल माइंडेड गेम में कितनी शानदार प्रदर्शन देने की कोशिश कर रहे हैं वह भी देखने को मिलेगी.

पढ़िए फिल्म मैदान का रिलीज से पहले रिव्यू

पर्दे पर फुटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया में क्षेत्रवाद यानी रीजनल प्राइड को लेकर (हैदराबाद और बंगाल के बीच) गहमागहमी देखने को मिलती है जो फेडरेशन में कोच और मैनेजर रहे रहीम साब और उनके कट्टर विरोधी रुद्रनील घोष के बीच कांटा बन जाता है. फिल्म में क्रूर खेल पत्रकार गजराज राव ने अच्छा काम किया है. इसमें लोग खेल के मैदान के अलावा बाहर भी खेलते दिखाई देते हैं कि किस इलाके के खिलाड़ी को टीम में जगह दी जानी चाहिए और किसे नहीं. किसे 'विदेशी' दौरों पर जाने के लिए सेलेक्ट करना चाहिए और किसे नहीं. यह हिंदू बनाम मुस्लिम के बजाय बंगाल बनाम हैदराबाद के सवालों पर आधारित है.

फिल्म के ट्रेलर में देखा जा सकता है कि रहीम पर बंगाल के खिलाड़ियों को हैदराबाद से बदलने का आरोप लगाया जा रहा है जिसपर कोच रहीम बोलते हैं कि मुझे लगा आज इंडिया की बात होगी. क्षेत्रवाद को लेकर कोच और प्रमुख विरोधी घोष के बीच सीधे-सीधे टक्कर देखने को मिलेगी. तीन घंटे की लंबी फिल्म कुछ जगहों पर ऐसी लगती है जानबूझकर खिच रही है. हालांकि, फिल्म के गाने काफी अच्छे हैं. फिल्म की शुरुआत खिलाड़ियों की तलाश से होती है, जो एक अहम हिस्सा है. फिल्म के कई हिस्से बहुत तेज़ और अधिक लगती है. ऐसे में आपको अपने कानों पर हाथ रखने का मन करता है.

बता दें कि फिल्म मैदान कल सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. लेकिन इसका ट्रेलर 7 मार्च को ही रिलीज किया जा चुका हैं. थियेटर पहुंचने से पहले यहां फिल्म का ट्रेलर फिर एक बार देख सकते हैं. 

शाहरुख खान की फिल्म चक दे इंडिया की तरह 'मैदान' में एक अहम मैच से ठीक पहले कोच द्वारा एक भाषण होता है जो खिलाड़ियों में उत्साह भरने के लिए दिया जाता है. फुलबाल के मैदान पर शानदार एक्शन देखने को मिलती है. नतीजतन भारतीय टीम सॉउथ कोरिया को 2-1 से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल करती है. फुटबाल के मैदान में यह स्वर्णिम जीत पहली बार थी.

सभी किरदारो ने फिल्म में काफी अच्छा काम किया है. गजराज राव ने एक क्रूर खेल पत्रकार के रूप में शानदार काम किया हैं. रुद्रनील घोष एक निष्कपट, शिंगारा-प्रेमी बाबू के रूप में पर्दे पर नजर आते हैं जो अपनी शक्ति में खुश हैं और उनका खेल के प्रति कोई लगाव नहीं है. ये कभी-कभी वन-नोट बन जाते हैं, लेकिन यह उस तरह की फिल्म के लिए काम करते हैं, जिसमें बयान के लिए बारीकियों का त्याग किया जाता है.

फिल्म के ज्यादातर हिस्से में रहीम साब सिगरेट पीते देखे जाते हैं. अजय और उसकी वफादार पत्नी रूना यानी प्रियामणि के बीच कुछ घरेलू दृश्य आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं. जिन एक्टर्स की बदौलत टीम बनती हैं उनमें कुछ ही चेहरे जैसे चुनी गोस्वामी, पी के बनर्जी, पीटर थंगराज जाने-पहचाने लगते हैं. इन्हें छोड़कर टीम के बाकी खिलाड़ी नए हैं. यह एक ऐसी फिल्म है जिसमें अधिकांश पुरुष किरदार बहुत धूम्रपान करते हैं.

फिल्म 'मैदान' अपनी कुछ कमियों के साथ आपको ताली बजाने को मजबूर करती है. इसके अलावा फिल्म के कई सीन आपको खुशी से उछलने को मजबूर करते हैं. साथ ही पर्दे पर कुछ ऐसे भी सीन है जो आपको एक गर्व के आंसू बहाने पर मजबूर कर देती हैं. फिल्म मैदान में अजय देवगन (Ajay Devgn) के अलावा प्रियामणि (Priyamani), गजराज राव (Gajraj Rao), रुद्रनील घोष (Rudranil Ghosh) जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैें. फिल्मकार अमित शर्मा (Amit Ravindernath Sharma) के डायरेक्शन में बनी फिल्म मैदान का रिलीज से पहले रिव्यू करते हुए इंडियन एक्सप्रेस की शुभ्रा गुप्ता ने 2.5 स्टार रेटिंग दी है.

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