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Manipur Violence: मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा को लेकर ईसाई समुदाय के लोगों ने रविवार को पटियाला में विरोध प्रदर्शन किया. (PTI Photo)
SC for Ex-Mumbai Top Cop to Oversee Manipur CBI Probe, Retired Judges to Look at Humanitarian Aspects: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) की सीबीआई जांच की निगरानी के लिए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर दत्तात्रेय पडसलगीकर (Dattatray Padsalgikar, former Mumbai Police Commissioner) को नियुक्त किया. 3 मई से राज्य में जारी हिंसा के मानवीय पहलुओं को देखने के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत ने तीन सदस्यों की समिति बनाई है. जिसकी अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट की रिटायर्ड चीफ जस्टिस गीता मित्तल (Gita Mittal, Retired Jammu-Kashmir High Court Chief Justice) करेंगी.
सुप्रीम कोर्ट की समिति में ये रिटायर्ड जस्टिस हैं शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा में प्रभावित लोगों के राहत और पुनर्वास कार्यों की निगरानी के लिए विभिन्न उच्च न्यायालयों की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने की सोमवार को घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल तीन सदस्यों की समिति की अध्यक्ष होंगी. रिटायर्ड चीफ जस्टिस गीता मित्तल के अध्यक्षता वाली समिति में अन्य सदस्य के रूप में रिटायर्ड जस्टिस शालिनी पी जोशी और जस्टिस आशा मेनन होंगी. सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ में जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.
कौन हैं पूर्व IPS दत्तात्रेय पडसलगीकर
सीजेई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि मणिपुर हिंसा की जांच की निगरानी पूर्व आईपीएस दत्तात्रय पडसलगीकर (Dattatray Padsalgikar) करेंगे. महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस पडसलगीकर कई उच्च पदों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. उन्होंने एनआईए (NIA) में सेवा दी है. इसके अलावा वह इंटेलिजेंस ब्यूरो में रह चुके हैं. 1990 के दशक में नागालैंड में सेवा दे चुके हैं.
पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत का प्रयास राज्य में कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है. उसने कहा कि न्यायिक समिति राहत एवं पुनर्वास कार्यों के अलावा अन्य चीजों की निगरानी करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उन आपराधिक मामलों की निगरानी करने को कहा जाएगा, जिनकी जांच राज्य एसआईटी करेगी.
पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तृत आदेश शाम को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा. मणिपुर के पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों तथा प्रभावी जांच के उद्देश्य से मामलों को अलग-अलग करने संबंधी प्रश्नों के उत्तर देने के लिए पीठ के समक्ष पेश हुए. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले अलग-अलग करने सहित विभिन्न मामलों पर शीर्ष अदालत द्वारा एक अगस्त को मांगी गई रिपोर्ट उसे सौंपी.
अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा, ‘‘सरकार बहुत परिपक्व तरीके से हालात से निपट रही है.’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवेदनशील मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षकों की अध्यक्षता में एसआईटी गठित करने का प्रस्ताव रखा है और इसके अलावा 11 मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगा. इससे पहले मणिपुर की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को कहा था कि वहां कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है.
शीर्ष अदालत ने जातीय हिंसा की घटनाओं, खासतौर पर महिलाओं को निशाना बनाने वाले अपराधों की ‘‘धीमी’’ और ‘‘बहुत ही लचर’’ जांच के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की थी और उसके सवालों का जवाब देने के लिए डीजीपी को तलब किया था . केंद्र ने पीठ से आग्रह किया था कि भीड़ द्वारा महिलाओं के यौन उत्पीड़न के वीडियो से संबंधित दो प्राथमिकी के बजाय, 6,523 प्राथमिकियों में से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा से संबंधित 11 मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए और मुकदमे की सुनवाई मणिपुर के बाहर कराई जाए. पीठ हिंसा से संबंधित लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.