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भारत ने इस मिशन पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. (Representational Photo: PTI)
इसरो आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास रचने वाला है. सूरज का अध्ययन करने के लिए भेजा गया भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल 1 स्पेसक्राफ्ट आज शाम करीब 4 बजे अपनी कक्षा में प्रवेश करेगा. लैगरेंज यानी एल-1 पॉइंट पर पहुंचकर ये अगले पांच साल तक सूरज की गतिविधियों पर नजर बनाए रखेगा और उससे जुड़ी जानकारियां इसरो को भेजेगा. करीब 15 लाख किमी का सफर तय कर आदित्य एल-1 आज हेलो प्वाइंट पर पहुंचेगा. यह दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का सिर्फ 1 फीसदी है. भारत ने इस मिशन पर करीब 400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
इसरो के एक अधिकारी ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में पहुंचा दिया जाएगा. यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा.’’
2 सितंबर को सौर मिशन हुआ था लॉन्च
आदित्य-एल1 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से इसरो के पीएसएलवी-सी57 ने 2 सितंबर 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था. ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है.
127 दिनों के बाद अपनी कक्षा में एंट्री करेगा आदित्य-एल1
बीते साल 2 सितंबर को आदित्य एल-1 को लॉन्च किया गया था. 127 दिनों के लंबे सफर के बाद आज आदित्य एल-1 अपनी कक्षा में प्रवेश करेगा. इसमें लगे 7 पेलोड सूरज से निकलने वाली किरणों का अध्ययन करेंगे. स्पेसक्राफ्ट को एल 1 प्वाइंट के चारों ओर एक कक्षा में जाना है. ‘लैगरेंज प्वाइंट’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. प्रभामंडल कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैगरेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है.
‘आदित्य एल1’ सौर मिशन का मकसद
इसरो अधिकारियों के मुताबिक स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैगरेंज प्वाइंट 1 यानी एल 1 प्वाइंट के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में पहुंचेगा. ‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक फीसदी है. अधिकारियों का कहना है कि ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में सैटेलाइट से सूरज को लगातार देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा.
अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.