/financial-express-hindi/media/media_files/ARlRTb6umZRWL9CWG1kf.jpg)
अगर आपको लगता है कि रिटायरमेंट कॉर्पस का अनुमान लगाना काफी मुश्किल है, तो आप "रूल ऑफ 30" या “30 के नियम” को आजमाकर देख सकते हैं. (Image: Pixabay)
How to use Rule of 30 in Retirement Planning: रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय आपके मन में पहला सवाल क्या आता है? यही न कि रेगलुर इनकम बंद होने के बाद आपको अपना जरूरी खर्च उठाने और लाइफस्टाइल कायम रखने के लिए कितने फंड की जरूरत पड़ेगी. इसका अनुमान लगाने के वैसे तो कई और तरीके भी हैं, जिनमें आपको अपने अनुमानित मासिक खर्च से लेकर महंगाई दर तक का कैलकुलेशन करना पड़ता है. इतना ही नहीं, यह अंदाजा भी लगाना जरूरी हो जाता है कि रिटायरमेंट के बाद जीवन के कितने वर्ष बचे होंगे! इनमें से हरेक कैलकुलेशन के लिए कई बातों पर विचार करना पड़ता है. मसलन, महीने के खर्च का अनुमान लगाने के लिए आपको अपने मौजूदा खर्च में कुछ ऐसे आइटम जोड़ने पड़ेंगे, जिनकी जरूरत आपको बढ़ती उम्र के साथ पड़ सकती है, तो कई ऐसी चीजें घटानी भी पड़ेंगी, जिनका इस्तेमाल आप आगे चलकर नहीं करने वाले हैं. हो सकता है आपको रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) का यह हिस्सा काफी मुश्किल लग रहा हो, फिर भी आपके लिए यह अनुमान लगाना तो जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद आपको कितने फंड की जरूरत पड़ने वाली है.
रूल ऑफ 30 का मतलब
अगर आपको लगता है कि रिटायरमेंट के बाद अपनी वित्तीय जरूरत का सही अनुमान लगाने की पूरी प्रॉसेस काफी मुश्किल है, तो आप अपने लिए एक आसान तरीका भी आजमाकर देख सकते हैं. ये आसान तरीका है “30 का नियम” (rule of 30). इस रूल के मुताबिक अगर आपको अपने रिटायरमेंट कॉर्पस का अनुमान लगाना है, तो उसका बेहद आसान तरीका ये है कि आप अपने सालाना खर्च को 30 से गुणा कर दें. ऐसा करने पर आपको जो रकम मिलेगी, उतना फंड आपके पास रिटायरमेंट कॉर्पस के रूप में होना चाहिए. मिसाल के तौर पर अगर आपका सालाना खर्च 10 लाख रुपये है, तो रिटायरमेंट के समय आपके पास 10 लाख X 30 = 3 करोड़ रुपये होने चाहिए.
इस नियम की सीमाएं क्या हैं?
हालांकि रूल ऑफ 30 की मदद से आपके लिए अपने रिटायरमेंट कॉर्पस का अनुमान लगाना बेहद आसान हो जाएगा, लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ एक मोटा-मोटा अंदाजा लगाने के लिए ही करना चाहिए. इस रूल के आधार पर लगाए गए अनुमान में कुछ बातें नज़रअंदाज़ भी हो जाती हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है :
इस तरीके से अनुमान लगाते समय किसी व्यक्ति की विशेष जरूरतों की अनदेखी होती है. मिसाल के तौर पर उसकी सेहत से जुड़े हालात, लाइफ स्टाइल, विरासत में मिली दौलत या कर्ज, रिटायरमेंट के बाद पार्ट-टाइम काम करने की संभावना वगैरह.
बाजार के उतार-चढ़ावों की वजह से आपके निवेश की वैल्यू पर पड़ने वाला असर इस फॉर्मूले में शामिल नहीं है, लिहाजा इसका अलग से ध्यान रखना जरूरी है.
महंगाई दर में होने वाले बदलावों को भी इस फ़ॉर्मूले में नजरअंदाज किया गया है.
‘रूल ऑफ 30’ से मिले आंकड़े को अपडेट कर लें
रिटायरमेंट कॉर्पस (Retirement Corpus) का सही अनुमान लगाना आपके बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है. ‘रूल ऑफ 30’ आपको इसके लिए एक बेहद आसान तरीका बताता है, जिसके आधार पर आप अपने निवेश का लक्ष्य तय कर सकते हैं. लेकिन इस फॉर्मूले में ऊपर बताई जिन बातों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है, उन पर आप अलग से गौर सकते हैं और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपने रिटायरमेंट कॉर्पस के अनुमान में कटौती या इजाफा करके सही टारगेट तय कर सकते हैं. यानी सही तरीका ये होगा कि पहले आप ‘रूल ऑफ 30’ के आधार पर एक आंकड़ा निकालें और फिर उसे ऊपर बताई गई बातों और अपनी अन्य निजी जरूरतों के हिसाब से अपडेट कर लें.