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दिल्ली के कार्यक्रम में भाषण देते केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल. (Photo as Shared on S.P.Singh Baghel's FB Page)
Union minister S P Singh Baghel's controversial statement: मोदी सरकार के मंत्री सत्यपाल सिंह बघेल ने बेहद विवादास्पद बयान दिया है. केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा है कि मुसलमान उपराष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे पद हासिल करने के लिए सहिष्णुता का मुखौटा लगाते हैं, जबकि असलियत में सहिष्णु मुसलमानों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय कानून और न्याय राज्यमंत्री बघेल ने यह बयान सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान दिया. देश में फिलहाल दो ही राज्यपाल मुस्लिम समुदाय से हैं - आंध्र प्रदेश के गवर्नर जस्टिस एस अब्दुल नजीर और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान. ऐसे में यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या केंद्रीय मंत्री का यह बयान इन राज्यपालों का अपमान नहीं है?
रिटायर होने के बाद देते हैं असली बयान : मंत्री
पीटीआई के मुताबिक केंद्रीय मंत्री बघेल ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित देव ऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में दिए अपने भाषण में कहा, “सहिष्णु मुसलमानों की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है. मेरे विचार से उनकी संख्या हजारों में भी नहीं है. और यह भी मुखौटा लगाकर सार्वजनिक जीवन जीने का हथकंडा है क्योंकि यह मार्ग उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या कुलपति के घर की ओर जाता है. लेकिन जब वे रिटायर होते हैं, तब असली बयान देते हैं. जब कुर्सी छोड़ते हैं, तब वो एक बयान देते हैं जो उनकी वास्तविकता दिखाता है.” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मीडिया इकाई इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र ने इस कार्यक्रम का आयोजन पत्रकारों को पुरस्कार देने के लिए किया था.
सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए : उदय माहुरकर
दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में सूचना आयुक्त उदय माहुरकर भी शामिल हुए और अपने भाषण में बघेल से बिलकुल अलग राय जाहिर की. पीटीआई के मुताबिक माहुरकर ने कहा कि भारत को इस्लामी कट्टरवाद से लड़ना चाहिए, लेकिन “सहिष्णु मुसलमानों को साथ लेना चाहिए”. माहुरकर ने कहा कि मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन काल के दौरान हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया था. माहुरकर ने कहा, “अकबर ने हिंदू-मुस्लिम एकता हासिल करने की पूरी कोशिश की थी”. उन्होंने यह भी कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज इन प्रयासों को “सकारात्मक” ढंग से देखते थे.
बघेल ने माहुरकर की बातों को किया खारिज
केंद्रीय मंत्री बघेल ने माहुरकर की इन बातों को खारिज करते हुए अकबर के प्रयासों को महज “रणनीति” करार दिया और आरोप लगाया कि मुगल बादशाह की जोधा बाई से शादी उनकी “राजनीतिक रणनीति” का हिस्सा थी, कोई दिल से उठाया गया कदम नहीं. बघेल ने कहा, "मुगल काल में औरंगजेब को देखिए…कई बार मैं हैरान हो जाता हूं कि हम जिंदा कैसे रहे.” केंद्रीय मंत्री ने ने कहा कि भारत के बुरे दिन 1192 ईस्वी में शुरू हुए जब मुहम्मद गौरी ने राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान को हराया था.
गंडे-ताबीज के जरिए भी हुआ धर्मांतरण : बघेल
बघेल ने अपने भाषण में धर्मांतरण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जिन लोगों को “गंडे-ताबीज” के माध्यम से दूसरे धर्म में परिवर्तित किया गया है, उनकी संख्या तलवार के डर से धर्म बदलने वालों की तुलना में काफी अधिक है. उन्होंने कहा, “वह चाहे ख्वाजा गरीब नवाज साहेब हों, हजरत निजामुद्दीन औलिया या फिर सलीम चिश्ती…आज भी हमारे समुदाय के लोग बच्चे, नौकरी, चुनाव लड़ने के लिए टिकट या मंत्री पद पाने या राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री बनने के लिए बड़ी संख्या में वहां जाते हैं.” बघेल ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को लगता है कि वे लंबे समय तक भारत में ‘शासक’ रहे हैं, तो वे ‘प्रजा’ कैसे बन सकते हैं.