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Mohammad Azharuddin: तेलंगाना सरकार में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन को मिली बड़ी जिम्मेदारी, बने कैबिनेट मंत्री

पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शुक्रवार को हैदराबाद स्थित राजभवन में राज्यपाल जिष्णुदेव वर्मा के समक्ष कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. इसी के साथ वे तेलंगाना सरकार में मंत्री बन गए.

पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शुक्रवार को हैदराबाद स्थित राजभवन में राज्यपाल जिष्णुदेव वर्मा के समक्ष कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. इसी के साथ वे तेलंगाना सरकार में मंत्री बन गए.

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FE Hindi Desk
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Mohammad Azharuddin IE File

पूर्व क्रिकेट व कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरूद्दीन रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. (Image: IE File)

Mohammad Azharuddin Takes Oath as Telangana Cabinet Minister: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व कांग्रेस नेता मोहम्मद अजहरुद्दीन तेलंगाना सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. शुक्रवार को हैदराबाद स्थित राजभवन में राज्यपाल जिष्णुदेव वर्मा ने उन्हें कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई. इस दौरान राजभवन में मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी भी मौजूद रहे. यह नियुक्ति 18 सदस्यों वाले तेलंगाना कैबिनेट में से शेष तीन रिक्तियों में से एक है और 2014 में राज्य गठन के बाद यह पहला मुस्लिम मंत्री बनने का अवसर है. 

तेलंगाना सरकार में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन के शामिल होने से न सिर्फ मंत्रिमंडल में खाली चल रही सीट भर गई, बल्कि 2014 में राज्य गठन के बाद पहली बार किसी मुस्लिम चेहरे को मंत्री पद मिला है. यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब 11 नवंबर को जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव होने वाला है, जहां करीब 30% मुस्लिम मतदाता हैं.

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विपक्ष ने इसे कांग्रेस का चुनावी दांव बताते हुए आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है. भाजपा ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि अजहरुद्दीन की शपथ ऐसे समय में दिलाना, जब वे खुद उसी सीट से टिकट की मांग कर चुके हैं, मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास है. भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि “राजस्थान में भाजपा ने भी चुनाव से पहले अपने उम्मीदवार को मंत्री बनाया था और वह चुनाव हार गया था.”

कांग्रेस ने इस कदम को सामाजिक न्याय के वादे की पूर्ति बताया. हालांकि अजहरुद्दीन अभी न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के, जो मंत्री बनने की संवैधानिक शर्त है. उन्हें राज्यपाल कोटे से एमएलसी नामित किया गया है, लेकिन इस पर अभी राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. नियमों के अनुसार, उन्हें 6 महीने के भीतर विधान परिषद सदस्य बनना होगा, वरना मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा.

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