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CEC समेत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का बिल राज्यसभा में पेश, सेलेक्शन कमेटी में नहीं होंगे CJI

Rajya Sabha Monsoon Session: मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) समेत चुनाव आयोग के सभी सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा बिल सरकार ने राज्यसभा में पेश कर दिया है.

Rajya Sabha Monsoon Session: मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) समेत चुनाव आयोग के सभी सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा बिल सरकार ने राज्यसभा में पेश कर दिया है.

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FE Hindi Desk
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Monsoon Season: विपक्षी दलों का आरोप है कि इस बिल के जरिये सरकार सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले को पलट रही है.

Parliament Monsoon Session: मोदी सरकार ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) समेत केंद्रीय चुनाव आयोग के सभी सदस्यों के सेलेक्शन और नियुक्ति से जुड़ा एक बिल राज्यसभा में पेश कर दिया है. इस बिल में सभी चुनाव आयुक्तों के सेलेक्शन के लिए बनने वाली कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए एक कैबिनेट मंत्री को रखने का प्रस्ताव है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनी मौजूदा व्यवस्था के तहत इस कमेटी में पीएम, विपक्ष के नेता के अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को रखा गया है. लेकिन सरकार के बिल में सीजेआई को सेलेक्शन कमेटी से बाहर करके उनकी जगह पीएम द्वारा नामित एक मंत्री को जगह दे दी गई है. विपक्ष ने इस बिल का कड़ा विरोध करते हुए इसे चुनाव आयोग को पूरी तरह अपने प्रभाव में रखने की सरकार की कोशिश बताया गया है.

चुनाव आयुक्तों के सेलेक्शन और नियुक्ति से जुड़ा ये बिल केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा के पटल पर रखा. विधेयक में CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति, सेवा शर्तों के बारे में भी प्रावधान किए गए हैं. बिल को सदन में रखे जाने के साथ ही विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो गए. विपक्षी दलों का आरोप है कि इस बिल के जरिये सरकार सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले को पलट रही है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अब तक, सीईसी और ईसी को संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है. जिसमें कहा गया है, “चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और उतनी संख्या में अन्य चुनाव आयुक्त, अगर कोई हों तो शामिल होंगे.” राष्ट्रपति समय-समय पर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. मार्च में, सीईसी और ईसी की नियुक्ति के बारे में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह तब तक लागू रहेगा जब तक संसद इस बारे में आवश्यक कानून पारित नहीं कर देती.

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सरकार ने कोर्ट में क्या कहा था?

अदालत को सौंपे गए अपने हलफनामे में, सरकार ने कहा था कि कानून के अभाव में उसने सिविल सेवाओं से सीईसी और ईसी का चयन करने की "अच्छी परंपरा" का पालन किया है. सरकार ने अदालत को सूचित किया था, “भारत सरकार के सचिव/मुख्य सचिव स्तर के सेवारत/सेवानिवृत्त अधिकारियों का एक डेटाबेस है. नियुक्तियों का चयन उस डेटाबेस से किया जाता है. कानून मंत्री डेटाबेस के आधार पर नामों की सिफारिश प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास भेजते हैं."

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विधेयक में क्या है?

  • विधेयक में कहा गया है कि चयन समिति अपनी प्रक्रिया को "पारदर्शी तरीके" से रेगुलेट करेगी.
  • सीईसी और ईसी का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा.
  • सीईसी और ईसी का वेतन कैबिनेट सचिव के समान होगा.
  • अब CEC के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री करेंगे.

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. गोयल को 19 नवंबर, 2022 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था. उससे महज एक दिन पहले ही उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी के तौर पर अपनी 37 साल की सर्विस से इस्तीफा दिया था.

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