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BJP vs Congress on OPS: शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने साफ कर दिया है कि वो राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम लागू नहीं करेगी, जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ इसका वादा कर रहे हैं.
No Proposal to Bring Back Old Pension Scheme in MP : सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) लागू करने का मसला धीरे-धीरे बीजेपी बनाम कांग्रेस की सियासी रस्साकशी में तब्दील होता जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में ओपीएस के वादे पर चुनाव जीतने वाली कांग्रेस जहां अब मध्य प्रदेश में भी यही दांव चलने की घोषणा कर चुकी है, वहीं शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने अब साफ कर दिया है कि वो राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम लागू नहीं करने जा रही है. दरअसल मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में साफ-साफ कह दिया है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने का उसका कोई इरादा नहीं है. शिवराज सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने यह बात मंगलवार को राज्य विधानसभा में दो कांग्रेस विधायकों और एक बीजेपी विधायक की तरफ से पूछे गए सवालों के लिखित जवाब में कही. शिवराज सरकार का ये जवाब इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले हफ्ते ही एलान किया है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी जाएगी.
बीजेपी विधायक ने भी पूछा सवाल
कांग्रेस के विधायकों रवींद्र सिंह तोमर और सुरेश राजे के अलावा बीजेपी विधायक दिनेश राय मुनमुन ने भी राज्य सरकार से पूछा था कि क्या मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने का कोई प्रस्ताव है? तीनों विधायकों के सवालों पर लिखित जवाब देते हुए वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा से लागू करने के किसी प्रस्ताव पर सरकार विचार नहीं कर रही है. वित्त मंत्री ने बताया कि 1 जनवरी 2005 या उसके बाद नियुक्त किए गए मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के दायरे में रखा गया है. उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल 2005 को जारी सरकारी आदेश के तहत ऐसा किया जा रहा है. वित्त मंत्री ने अपने जवाब में यह भी बताया कि राज्य सरकार के 4,83,332 कर्मचारी और अधिकारी एनपीएस के तहत रजिस्टर्ड हैं.
कमलनाथ कर चुके हैं OPS लागू करने का एलान
इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पिछले सप्ताह एलान कर चुके हैं कि अगर नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी, तो सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू कर दिया जाएगा. कमलनाथ ने इस बारे में किए गए ट्वीट में लिखा था, "शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर बहाल किया जाएगा."
शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर बहाल किया जाएगा।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 11, 2022
हिमाचल में कांग्रेस ने OPS के वादे पर जीता चुनाव!
गौरतलब है कि कांग्रेस ने हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी यही वादा किया था और वहां चुनाव में कांग्रेस की जीत भी हुई है. कमलनाथ के एलान से साफ है कि कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश में भी इस घोषणा का लाभ चुनाव में मिलने की उम्मीद कर रही है. यही वजह है कि हाल ही में कांग्रेस पार्टी के ट्विटर हैंडल पर भी हाल ही में इस बारे में बड़ा एलान किया गया है. पिछले हफ्ते किए गए कांग्रेस के इस ट्वीट में लिखा है, " खबर आप तक पहुंच ही गई होगी. मोदी सरकार 'पुरानी पेंशन योजना' लागू नहीं करेगी. पर आप चिंता न करें…कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन लागू कर दी है. अब हिमाचल में भी लागू होगी. कांग्रेस देगी आपका हक, आपकी पुरानी पेंशन." ओल्ड पेंशन स्कीम राजनीतिक रूप से एक बड़ा मुद्दा बनती जा रही है. हाल ही में पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने भी एनपीएस को हटाकर उसकी जगह OPS लागू करने का एलान किया है.
बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन रहा OPS
दरअसल पुरानी पेंशन स्कीम बंद किए जाने से प्रभावित होने वाले तमाम सरकारी कर्मचारी देश भर में नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर के तहत आंदोलन कर रहे हैं. इसी मूवमेंट के मध्य प्रदेश चैप्टर के नाम से एमपी में भी आंदोलन हो रहा है. प्रभावित कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस से रिटायरमेंट के बाद उनका गुजर-बसर हो पाना मुश्किल है, लिहाजा सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को ही फिर से बहाल करे. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारियों को अपने अंतिम वेतन का 50 फीसदी हिस्सा हर महीने पेंशन के तौर पर मिलता है. जबकि एनपीएस में पेंशन पाने के लिए खुद कर्मचारियों को ही कंट्रीब्यूशन देना पड़ता है.