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अनोखे डिजाइन से बने सुदर्शन सेतु के दोनों ओर श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों और भगवान कृष्ण की छवियों से सुसज्जित एक पैदलपथ है. (Image : X/@NarendraModi)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘सुदर्शन सेतु’ का उद्घाटन किया. गुजरात के दौरे के दूसरे दिन पीएम मोदी ने देश का सबसे लंबे केबल ब्रिज सौंपा. लगभग 980 करोड़ रुपये की लागत से बना सुदर्शन सेतु सिग्नेचर ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है. यह सेतु गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के ओखा शहर को कच्छ की खाड़ी में बेयट द्वारका द्वीप से जोड़ता है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या है सुदर्शन सेतु?
सिग्नेचर ब्रिज का नया नाम सुदर्शन सेतु है. यह सेतु गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले में तैयार किया गया है. यह देश का सबसे लंबा केबल ब्रिज है जो सेतु गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के ओखा शहर को कच्छ की खाड़ी में बेयट द्वारका द्वीप से जोड़ती है. पीएम मोदी ने अपने दिन की शुरुआत बेयट द्वारका में भगवान श्री कृष्ण मंदिर में पूजा-अर्चना करके की. इसके बाद उन्होंने 'सुदर्शन सेतु' नामक चार लेन के केबल पुल का उद्घाटन किया.
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गीता के श्लोकों और भगवान कृष्ण की छवियों से लैस पैदलपथ
अनोखे डिजाइन से बने इस सेतु के दोनों ओर श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों और भगवान कृष्ण की छवियों से सुसज्जित एक पैदलपथ है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, 2.32 किलोमीटर लंबे इस पुल का निर्माण 979 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है, जिसके बीच में 900 मीटर लंबा केबल आधारित हिस्सा है और पुल तक पहुंचने के लिए 2.45 किलोमीटर लंबा सड़क मार्ग है. इसमें कहा गया है कि चार लेन वाले 27.20 मीटर चौड़े पुल के दोनों तरफ 2.50 मीटर चौड़े पैदलपथ हैं.
द्वारका तक तीर्थयात्रियों को जाना हुआ आसान
बेयट द्वारका ओखा बंदरगाह के पास एक द्वीप है, जो द्वारका शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है जहां भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर है. अधिकारियों ने बताया कि सेतु के निर्माण से पूर्व तीर्थयात्रियों को बेयट द्वारका तक पहुंचने के लिए नौका परिवहन पर निर्भर रहना पड़ता था और इस पुल के निर्माण से वे कभी भी यात्रा कर सकेंगे.