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Poshan Abhiyaan: पोषण पखवाड़ा एक वार्षिक जागरूकता अभियान है जो इस बार 8 से 23 अप्रैल 2025 तक मनाया जाएगा. (Image: PIB)
भारत जैसे विशाल देश में, जहां विज्ञान और तकनीक में निरंतर प्रगति हो रही है, वहीं कुपोषण अब भी एक गंभीर और जटिल सामाजिक संकट बना हुआ है. यही वजह है कि सरकार ने वर्ष 2018 में ‘पोषण अभियान’ की शुरुआत की थी, ताकि महिलाओं, बच्चों और पूरे परिवार को उचित पोषण सुनिश्चित किया जा सके. इस मिशन की एक महत्वपूर्ण पहल है पोषण पखवाड़ा, जो हर साल एक व्यापक जन-जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है.
पोषण पखवाड़े का 7वां एडिशन आज से शुरू
इस साल 8 अप्रैल से 23 अप्रैल तक पोषण पखवाड़े का 7वां संस्करण मनाया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य है मातृ और शिशु पोषण, डिजिटल पहुंच के ज़रिए लाभार्थियों को जोड़ना और बचपन के मोटापे जैसी नई चुनौतियों से निपटना. इस वर्ष का फोकस केवल जागरूकता तक सीमित नहीं है, बल्कि समुदायों की भागीदारी और परिणाम आधारित उपायों पर आधारित है.
पहले 1,000 दिन’ की अहमियत
शिशु के जन्म से पहले के 9 महीने और उसके जीवन के पहले दो साल — यानि कुल 1,000 दिन — बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास की नींव रखते हैं. पोषण अभियान इन दिनों को ‘जादुई काल’ मानता है और माताओं को संतुलित आहार, उचित देखभाल और स्तनपान के लिए प्रेरित करता है.
तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का मेल
आज तकनीक ने कुपोषण से लड़ाई को अधिक प्रभावी बना दिया है. पोषण ट्रैकर ऐप की मदद से अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता स्मार्टफोन के ज़रिए बच्चों की ग्रोथ, भोजन वितरण और स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं. फरवरी 2025 तक सभी आंगनवाड़ी केंद्र इस ऐप से जुड़ चुके हैं, जिससे पात्र लाभार्थी खुद भी पंजीकरण कर सकते हैं.
सीएमएएम प्रोटोकॉल: ज़मीनी स्तर पर समाधान
2023 में शुरू किया गया सीएमएएम (CMAM) प्रोटोकॉल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल और इलाज में मदद करता है. पोषण पखवाड़ा 2025 के दौरान इस प्रोटोकॉल को केंद्र में रखा गया है, ताकि हर आंगनवाड़ी केंद्र एक पोषण क्लिनिक में बदला जा सके.
बचपन में मोटापे से निपटना भी ज़रूरी
अब कुपोषण सिर्फ कमज़ोरी या कम वजन तक सीमित नहीं रहा. एनएफएचएस-5 के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 में 2.1% से बढ़कर 2019-21 में 3.4% हो गया है. ऐसे में, जंक फूड पर रोक और स्कूलों में स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाई गई है. स्कूल कैंटीनों से एचएफएसएस खाद्य पदार्थों को हटाकर, फलों और सब्ज़ियों को बढ़ावा देना और शारीरिक गतिविधियों को अनिवार्य बनाना इस दिशा में अहम कदम हैं.
पोषण पखवाड़ा: सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आंदोलन
पोषण पखवाड़ा 2025 एक समर्पित कोशिश है—हर माँ, हर बच्चे और हर परिवार तक पोषण पहुंचाने की. जब परंपरा और तकनीक एक साथ मिलते हैं, जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सशक्त होते हैं और जब हर नागरिक भागीदारी निभाता है, तभी एक मजबूत और स्वस्थ भारत की नींव रखी जा सकती है.
अब बारी आपकी है—स्वस्थ आदतें अपनाइए, दूसरों को जागरूक कीजिए, और यह सुनिश्चित कीजिए कि हर ज़रूरतमंद पोषण ट्रैकर से जुड़ा हो. क्योंकि जब हर नागरिक जिम्मेदारी निभाता है, तब देश सच में मज़बूत बनता है.
पोषण पखवाड़े से जुड़ी अहम बातें
पोषण पखवाड़ा का 7वां संस्करण 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जा रहा है.
पोषण अभियान का मकसद तकनीक और परंपरा के तालमेल से बच्चों और महिलाओं के बीच स्वस्थ और पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना है.
पोषण पखवाड़ा 2025 बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित है, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम वक्त होता है.
प्रौद्योगिकी का उपयोग - पोषण ट्रैकर आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण सेवाओं की वास्तविक समय की निगरानी को सक्षम बनाता है.
लाभार्थी अब बेहतर पहुँच के लिए पोषण ट्रैकर वेब ऐप के ज़रिए खुद पंजीकरण कर सकते हैं.
गंभीर कुपोषण का समुदाय-आधारित प्रबंधन प्रोटोकॉल (सीएमएएम), समस्या का शीघ्र पता लगाने और समुदाय-आधारित प्रबंधन में मदद करता है.
पोषण पखवाड़ा स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन के मोटापे पर भी ध्यान केंद्रित करता है.