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भारतीय रेलवे ने बुजुर्ग नागरिकों को रेल यात्रा पर मिलने वाली छूट को खत्म करके सिर्फ एक साल में 2,242 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है. (File Photo)
Indian Railways earns Rs 2,242 crore etxtra from senior citizens by not giving them ticket concession: इसे आपदा में अवसर कहें या कुछ और? ये सवाल भारतीय रेल की कमाई से जुड़े एक ताजा आंकड़े की वजह से उठ रहा है. आंकड़ा ये है कि भारतीय रेलवे ने बुजुर्ग नागरिकों को रेल यात्रा पर मिलने वाली छूट को खत्म करके सिर्फ एक साल में 2,242 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की है. रेलवे को बुजुर्गों की जेब पर बोझ बढ़ाने की वजह से ये अतिरिक्त कमाई सिर्फ वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुई है. यह जानकारी सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत पूछे गए एक जवाब में सामने आई है. देश की ट्रेनों में पहले बुजुर्गों को किराए में छूट मिलती थी, जिसे मोदी सरकार मार्च 2020 में सस्पेंड कर दिया था.
कोविड महामारी के दौरान सस्पेंड हुआ था कंसेशन
दरअसल मोदी सरकार ने बुजुर्गों को रेल यात्रा पर मिलने वाले कंसेशन को कोविड महामारी के दौरान मार्च 2020 में उस वक्त सस्पेंड कर दिया था, जब तमाम रेल गाड़ियां स्पेशल ट्रेन की कैटेगरी में चलाई जा रही थीं और उनमें किसी भी तरह का कंसेशन नहीं दिया जा रहा था. उस वक्त तो यही कहा गया था कि कंसेशन नहीं देने का फैसला अस्थायी है. लेकिन 2021 में रेलवे सेवा सामान्य रूप से बहाल होने के बावजूद बुजुर्गों से छीनी गई राहत को दोबारा कभी लागू नहीं किया गया. रेलवे में बुजुर्गों को मिलने वाले कंसेशन के तहत 60 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले पुरुषों और ट्रांसजेंडर को किराए में 40 फीसदी छूट मिलती थी, जबकि 58 साल या उससे अधिक उम्र वाली महिलाओं को 50 फीसदी की रियायत दी जाती थी.
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बुजुर्गों का कंसेशन खत्म करने से इतनी बढ़ी कमाई
आरटीआई के जरिए सामने आई जानकारी के मुताबिक भारतीय रेलवे ने 20 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 के दौरान भी बुजुर्गों का कंसेशन खत्म करके 1,500 करोड़ रुपये की एक्स्ट्रा कमाई की थी, जो 2022-23 यानी मार्च 2023 में खत्म वित्त वर्ष के दौरान बढ़कर 2,242 करोड़ रुपये हो चुकी है. मध्य प्रदेश के रहने वाले चंद्रशेखर गौर की तरफ से दिए गए RTI एप्लीकेशन के जवाब में रेलवे ने यह भी बताया है कि 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 के दौरान उसने करीब 8 करोड़ बुजुर्ग रेल यात्रियों को कंसेशन नहीं दिया. इनमें 4.6 करोड़ बुजुर्ग पुरुष, 3.3 करोड़ बुजुर्ग महिलाएं और 18 हजार ट्रांसजेंडर सीनियर सिटिजन शामिल हैं. इन सभी सीनियर सिटिजन्स से रेलवे ने कुल 5,062 करोड़ रुपये कमाए, जिसमें 2,242 करोड़ रुपये की वो अतिरिक्त रकम शामिल है, जो कंसेशन नहीं देने की वजह से मिली है.
बुजुर्गों के कंसेशन की मांग पर सरकार नहीं दे रही ध्यान
इसके पहले 20 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 के दौरान भी रेलवे ने करीब 7.31 करोड़ बुजुर्ग भारतीय नागरिकों को कंसेशन नहीं दिया था. इनमें 60 साल और उससे ज्यादा उम्र वाले 4.46 करोड़ पुरुष, 58 साल या उससे अधिक उम्र वाली 2.84 करोड़ बुजुर्ग महिलाएं और 8310 ट्रांसजेंडर शामिल हैं. इनसे रेलवे को 2020-22 के दौरान कुल 3,464 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जिसमें 1500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम कंसेशन खत्म करने की वजह से मिली थी. 2021 में रेलवे सेवा पूरी तरह बहाल होने के बाद से ही बुजुर्गों को मिलने वाली छूट फिर से बहाल करने की मांग उठती रही है. लेकिन मोदी सरकार इसे नजरअंदाज करती आ रही है.